MUMBAI. शोले के 'सांभा' यानी मैक मोहन की आज (10 मई) को 13वीं डेथ एनिवर्सरी है। मैक ने 10 मई साल 2010 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। मैक मोहन रवीना टंडन के मामा थे। एक्टर का जन्म 24 अप्रैल 1938 को ब्रिटिश भारत के कराची में हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश आर्मी में कर्नल थे।
एक डायलॉग ने कर दिया अमर
मैक मोहन ने अपने करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। फिल्म हकीकत से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था। ये फिल्म 1964 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इसके अलावा एक्टर जंजीर, सलाखें, शागिर्द, सत्ते पे सत्ता, डॉन, दोस्ताना, काला पत्थर जैसी फिल्म में नजर आ चुके है। लेकिन शोले उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म थी। फिल्म में मैक के कई सीन थे, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो उनका सिर्फ एक ही सीन गब्बर के सवाल का जवाब 'पूरे पचास हजार' रखा गया था। बाकी सीन काट दिए गए थे। इस फिल्म के रिलीज के बाद लोग उन्हें सांभा कहने लगे। मैक मोहन ने कई फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया था।
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हिंदी के अलावा इनमें भी किया काम
हिंदी सिनेमा में मैक मोहन ने एक विलेन के रूप में खुद को तराशा और अपनी एक अलग छाप छोड़ी। मैक ने हिंदी के अलावा भोजपुरी, गुजराती, हरियाणवी, मराठी, पंजाबी, बंगाली और सिंधी फिल्मों में काम किया है। उन्होंने ओडिया को छोड़कर लगभग सभी भारतीय भाषाओं के साथ-साथ इंग्लिश, रूसी और स्पेनिश मूवीज में डायलॉग दिए थे। वो हिंदी के अलावा इंग्लिश बहुत अच्छे से बोल और पढ़ सकने में सक्षम थे।