देव श्रीमाली, GWALIOR. भारतीय हिंदी के सुपर स्टार सलमान खान का आज (27 दिसंबर) को 58वां जन्मदिन है। एक्टर इंदौर में पैदा हुए और मुंबई में रहते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि उनके दिल में ग्वालियर बसता है। ये बात कभी न कभी अनेक मंचो पर खुद सलमान कहते रहे है। यह सच भी है कि यहां पढ़ाई के दौरान की गई अपनी शरारतें उन्हें आज भी गुदगुदाती है। उन्हें याद आता है कि कैसे वे स्कूल का ब्लेजर पहनकर धर्मेंद्र, हेमा मालिनी,अमिताभ बच्चन और अमजद खान की फिल्में देखने नई सड़क स्थित एक टाकीज में जाते थे।
ग्वालियर के सिन्धिया स्कूल में पढ़े है सलमान
24 दिसंबर 1965 में जन्मे सलमान का जन्म इंदौर में हुआ, लेकिन उनके पिता सलीम खान ने अपने दोनो बेटों सलमान और अरबाज को ग्वालियर के सिन्धिया स्कूल में भेज दिया। यह बोर्डिंग स्कूल था। यहां दोनो भाई तीन साल तक रहकर पढ़े थे, लेकिन महज तीन साल में ही इस स्कूल और शहर से जुड़ी ढेरों यादें आज भी उनके दिलो दिमाग पर छाई रहतीं हैं।
स्टाफ को चकमा देकर शोले देखने पहुंच गए थे सलमान
खुद सलमान ने एक बार ग्वालियर की अपनी यादों का पिटारा खोला। उनके समय का स्कूल स्टाफ बताता था कि अरबाज तो शांत थे लेकिन सलमान बहुत ही शरारती थे। अपनी एक शरारत का खुलासा तो खुद सलमान ने किया। उन्होंने बताया कि कैसे वे स्कूल स्टाफ को चकमा देकर अपने पिता द्वारा लिखी गई फिल्म शोले देखने के लिए पहुंच गए थे।
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फिल्म शोले देखने के लिए करनी पड़ी थी मशक्कत
ग्वालियर स्थित सिंधिया स्कूल देश के प्रसिद्ध बोर्डिंग स्कूलों में से एक है। यह ग्वालियर के ऐतिहासिक किले पर स्थित है। यहां से देश की अनेक जानी-मानी हस्तियां पढ़कर निकलीं हैं। किसी भी स्टूडेंट को बिना इजाजत कैंपस के बाहर जाने की अनुमति नहीं है। अगर कोई बच्चा बाहर जाने की कोशिश भी करता है तो उसे गार्ड पकड़कर अंदर भेज देते हैं और फिर उस बच्चे पर कार्रवाई की जाती है। सलमान और अरबाज को भी इस नियम का पालन करना पड़ता था। लेकिन एक दिन उन्होंने प्लान बनाया कि वे किसी भी हाल में अपने पिता की फिल्म शोले देखने के लिए स्कूल से बाहर जाएंगे। दोनों भाइयों ने कई बार कोशिश की, लेकिन वे कैंपस से बाहर जाने मे हर बार नाकामयाब ही रहे। ऐसे में सलमान ने एक शरारती योजना बनाई। वे चुपके से अपने टीचर के केबिन में गए और उनकी ब्लेजर उठा लाए। टीचर की ब्लेजर पहनकर जब वह कैंपस गेट पर पहुंचे तो गार्ड को लगा कि कोई टीचर है। गार्ड ने बिना पूछताछ के उन्हें बाहर निकल जाने दिया। इस तरह सलमान और अरबाज स्कूल कैंपस से बाहर जाने में सफल हो गए। दोनों ने बाहर जाकर शोले देखी जो ग्वालियर की नई सड़क पर गठित यादव टाकीज में लगी थी। दोनो ने वहीं बाहर खाना भी खाया और फिर वापस स्कूल आ गए। वापस आकर सलमान ने धीरे से अपने टीचर के केबिन में उस ब्लेजर को रख दिया। सलमान ने स्कूल टाइम में इस बात को गुप्त ही रखा। लेकिन एक दिन उन्होंने इस राज को सभी के सामने रखा तो लोग हैरान हो गए।
125 साल पुराना है यह स्कूल
ग्वालियर के सिंधिया स्कूल का संचालन ग्वालियर का सिन्धिया परिवार करता है। वर्तमान में इसकी देख-रेख केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया करतीं है, लेकिन इनकी स्थापना उनके पूर्वज तत्कालीन सिन्धिया महाराज माधवराव प्रथम ने 1897 में की थी। शुरुआती दौर में इसमें देश भर के महाराजा,राजा और बड़े जमींदारों के बच्चों को ही पढ़ाया जाता था,तब इसका नाम सरदार स्कूल हुआ करता था। स्वयं दिवंगत माधव राव सिंधिया ने भी यही रहकर शिक्षा हासिल की। हालांकि यहां उनका शाही महल ज्यविलास पैलेस है लेकिन यह स्कूल बोर्डिंग है लिहाजा उन्हें भी महल में रहने की इजाजत नही दी गई और वे भी वहीं के हॉस्टल में रहकर एक सामान्य स्टूडेंट के रूप में पढ़े।
कैंपस के अंदर खेल-कूद के 22 मैदान मौजूद है
सिंधिया स्कूल कैंपस के अंदर छात्रों के लिए हर सुख सुविधा मौजूद है। ऐसिहासिक दुर्ग पर स्थित इस स्कूल में छात्रों के खेलने के लिए 22 मैदान हैं। इसमें क्रिकेट, लॉन टेनिस, स्वीमिंग पूल, हार्स राइडिंग, बॉक्सिंग से लेकर हर तरह के इंडोर गेम और ओपन थिएटर मौजूद है। स्कूल को दो भागों में बांटा गया है। क्लास तीसरी से छठी तक जूनियर वर्ग और क्लास सातवीं से बारहवीं तक सीनियर वर्ग में बांटा गया है।
मुकेश अंबानी से लेकर नितिन मुकेश भी यहीं से पढ़े हैं
ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में सलमान खान और अरबाज खान के अलावा देश के कई बड़े नेता, सेना के जनरल, उद्योगपति और फिल्म अभिनेता पढ़े हैं। फिल्म निर्माता निदेशक सूरज बड़जात्या,नितिन मुकेश, अनुराग कश्यप, अली असगर, सुनील भारती मित्तल और मुकेश अंबानी भी यहीं से पढ़े है।