MUMBAI. सुनील दत्त एक महान कलाकार और राजनेता के साथ-साथ एक जिंदादिल इंसान भी थे। आज ( 6 जून) को सुनील दत्त की बर्थ एनिवर्सरी है। 6 जून, 1929 के दिन पंजाब (अब पाकिस्तान) में जन्मे सुनील किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। 25 मई, 2005 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। सुनील एक बहुत अच्छे एक्टर, बहुत अच्छे राजनेता और उससे भी कहीं बेहतर इंसान थे। वो हमेशा लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते थे। उनके जीवन में कितनी भी परेशानियां आईं, लेकिन उन्होंने सबका सामना हंसते हुए ही किया।
1968 में सुनील को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पाकीजा हिंदी सिनेमा की मास्टरपीस फिल्म
सुनील ने लगभग 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। 1972 में रिलीज हुई मीना कुमारी की फिल्म ‘पाकीजा’ हिंदी सिनेमा की मास्टरपीस फिल्म मानी जाती है। उन्होंने मदर इंडिया,वक्त,पड़ोसन, मेरा साया जैसी कई फिल्मों में काम किया है। सुनील ने हिंदी के साथ-साथ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है। इनमें मन जीत जग जीत, दुख भंजन तेरा नाम और सत श्री अकाल शामिल है। कहा जाता है कि एक्टर शुरुआत में रेडियो स्टेशन में काम करते थे। यहीं से उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला। यहां उनकी मुलाकात उस वक्त की मशहूर एक्ट्रेस नरगिस से हुई। फिल्म मदर इंडिया में सुनील ने नरगिस की जान बचाई थी। इसके बाद दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए थे। कुछ समय तक डेट करने के बाद दोनों ने शादी कर ली थी।
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2000 किमी पैदल चले, पड़ गए छाले
संजय ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी हाथ अजमाया। वह कांग्रेस पार्टी से लोकसभा के सदस्य बने। कहा जाता है कि 1987 में पंजाब में खालिस्तानी उग्रवादी आंदोलन चरम पर था। उस दौरान सुनील ने सद्भाव और भाईचारे के लिए मुंबई से अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर तक के लिए महाशांति पदयात्रा निकाली थी। ये यात्रा 78 दिन तक चली थी। इसमें 80 से ज्यादा बड़े नेता भी जुड़े थे। 2000 किलोमीटर की इस यात्रा के दौरान उन्होंने 500 से ज्यादा सभाएं भी की थीं। उस वक्त सुनील दत्त के पैरों में छाले पड़ गए थे, लेकिन उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की थी।