मैक मोहन लखनऊ की गलियों से निकलकर क्रिकेटर बनने का सपना लेकर आए थे मुंबई, बाद में एक्टिंग को बना लिया हमसफर, ट्यूमर ने ली जान

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Pratibha Rana
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मैक मोहन लखनऊ की गलियों से निकलकर क्रिकेटर बनने का सपना लेकर आए थे मुंबई, बाद में एक्टिंग को बना लिया हमसफर, ट्यूमर ने ली जान

MUMBAI.  पूरे पचास हजार......किसी फिल्म में महज तीन शब्द बोलकर कोई खलनायक हमेशा हमेशा के लिए अमर हो जाए। ये डॉयलाग फिल्म 'शोले' के मशहूर खलनायक मोहन माकीजनी का है, जिन्हें दुनिया मैक मोहन के नाम से जानती हैं। मैक मोहन का असली नाम मोहन माकीजनी है। लेकिन वह दुनियाभर में मैक मोहन के नाम से पॉपुलर है। उनका जन्म 24 अप्रैल 1938 में ब्रिटिश भारत के कराची में हुआ था। 



200 से ज्यादा फिल्मों में किया काम 



मैक ने बॉलीवुड में करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। उन्होंने फिल्म 'हकीकत' से अपने करियर की शुरुआत की  थी। इसके बाद उन्होंने कई शानदार फिल्में दी। इसमें जंजीर, सलाखें, शागिर्द, सत्ते पे सत्ता, डॉन, दोस्ताना, काला पत्थर, शोले समेत कई अन्य शामिल है। फिल्म 'शोले' में वो गब्बर के सवाल 'कितना इनाम रखी है सरकार हम पर' का जवाब देते हैं 'पूरे पचास हजार'। वह सिर्फ इस तीन शब्द से इस फिल्म में उनका किरदार हर किसी को याद रहा। उनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई वह 'अतिथि तुम कब जाओगे' थी।



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बनना चाहते थे क्रिकेटर बन गए एक्टर



मैक मोहन के पिता भारत में ब्रिटिश आर्मी में कर्नल थे। लेकिन मैक को बचपन से क्रिकेटर बनने का शौक था। उन्होंने उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के लिए खेला भी था। लेकिन अचानक उनकी लाइफ में एक ऐसा मोड़ा आया कि वे एक्टर बनने के लिए मुंबई चले आए। यहां उन्होंने रंगमंच देखा और उनकी एक्टिंग में रुची पैदा हो गई।



इस वजह से हुआ निधन



मैक के करियर की आखिरी फिल्म 'अतिथि तुम कब जाओगे' थी। परेश रावल स्टारर इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मैक मोहन की तबीयत बिगड़ी और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। मैक मोहन के फेफड़े में ट्यूमर बताया गया था। इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और एक साल बाद उनका निधन हो गया।


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