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भोपाल गैस कांड
भोपाल गैस त्रासदी: यह कहानी भोपाल की एक फैक्ट्री से शुरू होती है, जो यूनियन कार्बाइड नाम की अमेरिकी कंपनी की थी। इस फैक्ट्री में खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक बनाए जाते थे।
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मिथाइल आइसोसाइनेट गैस
bhopal gas tragedy: फैक्ट्री में MIC (मिथाइल आइसोसाइनेट) नाम की एक बहुत ही जहरीली गैस थी। इसे बड़े-बड़े टैंकों में भरकर रखा जाता था।
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हादसे वाली रात
भोपाल गैस कांड कब हुआ था: कढ़ाके की ठंड में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात को फैक्ट्री के एक गैस टैंक (नंबर 610) में गलती से पानी चला गया।
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टैंक बना बम का गोला
MIC गैस के टैंक के अंदर पानी जाते ही केमिकल रिएक्शन शुरू हो गया। टैंक के अंदर इतनी तेज गर्मी और प्रेशर बढ़ने लगा कि टैंक एक बड़े बम की तरह हो गया।
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शहर की तरफ बढ़ती जहरीली गैस
रात के करीब 12:30 बजे टैंक का वॉल्व धमाके के साथ टूट गया। टैंक से जहरीली गैस का धुआं तेजी से शहर की तरफ बढ़ने लगा।
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सोते रह गए लोग
जहरीली गैस हवा से भारी होने के कारण जमीन के करीब ही रही और पास के कई इलाकों में फैल गई। हजारों लोग सोते हुए ही मारे गए या हमेशा के लिए अपंग हो गए।
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लोगों पर पड़ा बुरा असर
भोपाल गैसकांड: इस खतरनाक हादसे में जिन लोगों की जान बची थी, वे आज भी हादसे से प्रभावित हैं। कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई।
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