बहते पानी में दो तरह से झाग बनते हैं। एक झाग तो वो होते हैं, मृत पौधों और उनसे निकलने वाले वसा की वजह से बनते हैं। लेकिन इनकी मात्रा काफी कम होती है और ये बनते हैं और खत्म भी हो जाते हैं। दिखने में ये झाग साबुन वाले झाग की तरह ही होते हैं, लेकिन ये उनसे अलग होते हैं। मगर यमुना में जो झाग हैं, वो ये वाले नहीं बल्कि फॉस्फेट से होने वाले झाग हैं। इसी फॉस्फेट की वजह से ही साबुन या डिटर्जेंट से झाग बनते हैं।