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भगवान शिव की खोज
Kedarnath Temple: कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने रिश्तेदारों को मारने का पाप महसूस किया। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की खोज शुरू की।
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भगवान शिव का अनोखा रूप
Kedarnath Dham: पांडवों को दर्शन न देने के लिए भगवान शिव ने भैंसे का रूप धारण किया और केदारनाथ मंदिर में पशुओं के झुंड में छिप गए।
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धरती में समाय भगवान शिव
भीम ने अपने बल से भैंसे रूपी भगवान शिव को पकड़ने का प्रयास किया। इस प्रयास में भगवान शिव धरती में समा गए। जिससे उनका पिछला भाग (कूबड़) बाहर ही रह गया।
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त्रिकोणीय ज्योतिर्लिंग की पूजा
जिस स्थान पर शिव जी का कूबड़ प्रकट हुआ। पांडवों ने उस शिला की ही पूजा की। यही शिला आज त्रिकोणीय ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजी जाती है।
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शिव जी का पहला मंदिर
भगवान शिव के साक्षात दर्शन होने पर पांडवों ने इस जगह पर पहला मंदिर बनवाया।
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स्वर्ग जाने का मार्ग
केदारनाथ धाम में शिव की पूजा और तपस्या करने के बाद पांडवों को उनके पापों से मुक्ति मिली। माना जाता है कि यहीं से पांडवों ने स्वर्ग जाने का मार्ग किया था।
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पंच कैदार का निर्माण
जब भगवान शिव बैल रूप में धरती में समाए तो उनके शरीर के भाग चार और स्थानों पर प्रकट हुए। इन्हीं पांचों स्थानों पर पांडवों ने मंदिर बनाए जिन्हें आज पंच केदार के नाम से जाना जाता है।
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