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प्रेम की निशानी
यह महल राजा मान सिंह तोमर ने अपनी प्रिय रानी मृगनयनी के लिए बनवाया था। (ग्वालियर किला) रानी मृगनयनी गुर्जर समुदाय से थीं। इसलिए इसे गुजरी महल कहा जाता है।
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ग्वालियर किले के भीतर
गुजरी महल ग्वालियर किले के अंदर निचले हिस्से में स्थित है। (मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी) रानी मृगनयनी ने महल की जगह इसलिए चुनी थी ताकि उनके पास राय नदी से आने वाला पानी आसानी से पहुंच सके।
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अब बन गया संग्रहालय
यह ऐतिहासिक महल अब एक पुरातत्व संग्रहालय बन चुका है। यहां ग्वालियर और आसपास के क्षेत्रों से मिली हुई मूर्तियां, सिक्के और शिलालेख रखे गए हैं।
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बेशकीमती मूर्तियां
इस संग्रहालय में दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 15वीं शताब्दी तक की हिंदू और जैन धर्म से जुड़ी पत्थर की कई बेशकीमती मूर्तियां देखने को मिलती हैं।
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दुर्लभ कलाकृतियां
यहां खास तौर पर चतुर्भुज विष्णु की मूर्ति, शाक्यमुनि की प्रतिमा और भी देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
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राजा-महाराजाओं के उपकरण
MP Tourism Board: मूर्तियों के अलावा यहां कई पुराने शिलालेख और उस समय के राजा-महाराजाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर के उपकरण भी रखे गए हैं।
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महल की शानदार बनावट
Gwalior Fort : भले ही यह महल अब संग्रहालय (Museum) बन चुका है लेकिन इस महल की शानदार बनावट आज भी देखने लायक है।
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