नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। जो भी भक्त सच्चे मन से देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है उसके जीवन में आने वाली कठिन परेशानियां भी आसान हो जाती है।
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम में वृद्धि होती है। जीवन की कठिन समय में मां का ध्यान करने से मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। मां अपने भक्तों के समस्त दोषों को दूर करती हैं।
मां की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय प्राप्त होती है। मां की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में जिस बात का संकल्प कर लेते हैं वह अवश्य ही पूरा होता है।
मध्य प्रदेश में मां ब्रह्मचारिणी मंदिर
मध्यप्रदेश के देवास जिले में माता ब्रह्मचारिणी का दिव्य मंदिर मौजूद है। घने जंगल और कच्चे रास्तों के बावजूद रोजाना भक्त माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते है। देवास के बेहरी से लगभग 2 किलोमीटर दूर कच्चे रास्तों से होते हुए मंदिर तक पंहुचा जाता है। यहां माता किसी भव्य मंदिर में नहीं, बल्कि पेड़ों के नीचे विराजी हैं। पेड़ों के नीचे ही भक्त भी मां के दर्शन करते हैं और उनसे मन की व्यथा कहते हैं।
वाराणसी में मां ब्रह्मचारिणी मंदिर
मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है। काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते हैं। मां के दर्शन मात्र से श्रद्धालु को यश और कीर्ति प्राप्त होती है।
लखनऊ में मां ब्रह्मचारिणी मंदिर
अगर आप लखनऊ में माता के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं, तो मां पूर्वी देवी बाघम्बरी मंदिर जा सकते हैं। मां पूर्वी देवी बाघम्बरी मंदिर में स्थित माता मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है।