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देश में बरसाना के बाद विदिशा में राधा रानी का प्राचीन मंदिर है। आज भी यह मंदिर हवेली में बना हुआ है।
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1670 में जब औरंगजेब ने हिन्दुस्तान के मंदिरों को ध्वस्त किया था, तब वल्लभीय सम्प्रदाय के पूर्वज मूर्ति वृदांवन से यहां लेकर आ गए थे।
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वर्षो से मंदिर में राधारानी की साल भर तक गुप्त पूजा होती है, सिर्फ एक दिन के लिए आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खुलते है।
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राधा अष्टमी के दिन शयन आरती के बाद मंदिर के पट पूरे साल भर के लिए बंद हो जाएंगे। यह सिलसिला पिछले 335 साल पहले से चला आ रहा है।
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इस साल राधा रानी के लिए 65 किलो चांदी का पालना, झूला और विमान तीनों चीजें बनाई गई हैं, सिंहासन केवल 28 किलो चांदी का है, जिसमें राधा रानी विराजमान हैं।