शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की विधिवत पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर जन्म लिया था। हिमालय को शैलेंद्र या शैल भी कहा जाता है।
हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है।उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी।
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है इस दिन ही माता दुर्गा के पहले स्वरूप की पूजा करने का विधान होता है।
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के बुधवारी बाजार में स्थित ये मंदिर देशभर में अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मंदिर आज लगभग 200 साल पुराना है। ये मंदिर मां शैलपुत्री का प्रथम दर्शना जागृत पीठ नाम से मशहूर है।
कश्मीर के झेलम के किनारे बारामूला में देवी शैलपुत्री का मंदिर है, जो माता खीर भवानी की नौ बहनों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि केवल कुमारी कन्याएं ही मंदिर के अंदर भोग और साफ- सफाई का कार्य करती हैं।
वाराणसी के सिटी रेलवे स्टेशन से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलीपुर में वरुणा नदी के पास माता शैलपुत्री का मंदिर है। नवरात्रि के पहले दिन यहां दर्शन करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के मंदिर में आस्था का सागर उमड़ पड़ता है।