आपातकाल
जब-जब भी आपातकाल की बात आती है तो मध्यप्रदेश का भी जिक्र होता है। वह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण दौर था, जिसने राज्य के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे पर गहरा असर डाला। मीसा के तहत की गई गिरफ्तारियों ने जनता में भय और असंतोष का माहौल पैदा किया। मीसाबंदियों का संघर्ष भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो भविष्य में स्वतंत्रता और न्याय की रक्षा के लिए प्रेरणा का काम करता है।
सीहोर से पकड़े गए थे शिवराज
1975 में आपातकाल के दौरान शिवराज 17 साल के थे, तब वे 11वीं में पढ़ते थे। पुलिस ने उन्हें एक प्रदर्शन के दौरान सीहोर के चौक बाजार से गिरफ्तार किया था।
कैलाश सारंग
इमरजेंसी में मध्यप्रदेश के युवाओं ने लोकतंत्र सेनानी के तौर पर हिस्सा लिया था। भोपाल में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले युवाओं ने जेल भरो आंदोलन किया। कैलाश सारंग ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। वे संरक्षक की भूमिका निभाते रहे।
अटल जी
आपातकाल के दौरान सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। उन्हें 18 महीने तक कैद कर रखा गया था। इस दौरान उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए इंदिरा गांधी के आपातकाल लागू करने के फैसले की आलोचना की थी।
बाबूलाल गौर
बाबूलाल गौर जेल भेजे गए थे। कहा जाता है कि वे जेल में चुटकुले-कहानियां सुनाकर सबकी चिंताओं को दूर करते थे।
राजमाता विजयाराजे
आपातकाल के बीच 3 सितंबर 1975 को ग्वालियर की राजमाता विजयराजे सिंधिया को तिहाड़ जेल भेज गया था। उन पर आर्थिक अपराध की धारा लगाई गई थी। उनके बैंक खाते सील कर दिए गए। सिंधिया अपनी आत्मकथा 'प्रिंसेज़' में लिखती हैं, 'तिहाड़ में मैं कैदी नंबर 2265 थी। जब मैं तिहाड़ पहुंची तो वहां जयपुर की महारानी गायत्री देवी ने मेरा स्वागत किया। हम दोनों ने सिर झुकाकर और हाथ जोड़ कर एक दूसरे का अभिवादन किया।