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महिला पहलवान विनेश फोगाट ( Vinesh Phogat ) पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल में पहुंचने के बाद काफी चर्चा में हैं।
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देश का नाम रौशन करने वाली भारत की बेटी विनेश को कुछ समय पहले मेडल और गेम में जीती रकम को वापस करने के लिए कहा जा रहा था, लेकिन आज उसी की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए लोग थक नहीं रहे है।
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महिला पहलवान विनेश की सेमीफइनल की जीत ने षड्यंत्रकारियों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है।
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आइए जानते हैं महिला पहलवान विनेश फोगाट ने क्यों लौटाया था खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार।
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विनेश फोगाट ने दिल्ली में अन्य भारतीय पहलवानों के साथ मिलकर पहलवानों के अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर आंदोलन किया था। इस आंदोलन में विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, और कई अन्य प्रमुख पहलवान शामिल थे।
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यह आंदोलन भारतीय कुश्ती महासंघWFI के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ था, जिन पर यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
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पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन पर दबाव डाला। यह धरना कई दिनों तक चली और इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला था।
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सरकार और खेल मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की और पहलवानों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
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महिला पहलवान विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन दिल्ली पुलिस ने नहीं जाने दिया था। इसकर बाद उन्होंने खुद को मिले मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार कर्तव्य पथ पर ही सड़क के किनारे रख दिए थे।
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पहलवान साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा की थी और पहलवान बजरंग पुनिया ने भी उन्हें मिला पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था। विनेश फोगाट ने कुश्ती दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है। पहली अपने गांव बलाली में कुश्ती को पुरुषों का खेल मानने वाले ग्रामीणों से और दूसरी शक्तिशाली महासंघ के अधिकारियों से।