MP के अतिथि विद्वानों के लिए खुशखबरी, नई शिक्षा नीति में बदलाव, जल्द होगी नियुक्ति

मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सत्र 2025-26 से नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में अध्यादेश 14-1 लागू किया जाएगा, जिसके अंतर्गत कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। इस संबंध में विश्वविद्यालयों को सुझाव दिए जा रहे हैं ।

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Manya Jain
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मध्यप्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए सत्र 2025-26 से यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में नई शिक्षा नीति लागू करने का निर्णय लिया है। इस नीति के तहत, स्नातक पाठ्यक्रमों में बदलाव होंगे। जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह नीति छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लाई जा रही है, जिससे उनके भविष्य को और बेहतर बनाया जा सके। इसके लिए यूनिवर्सिटीज में विद्वान की नियुक्ति, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दी गई सुविधाओं का प्रभावी एक्सेक्यूशन और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है।

अतिथि विद्वान की नियुक्ति

नई शिक्षा नीति के तहत, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की बढ़ती संख्या और शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए अतिथि विद्वान (Guest Teachers) की नियुक्ति की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग ने सुझाव मांगा है कि विश्वविद्यालयों में जिन विषयों में शिक्षक नहीं हैं, वहां अतिथि शिक्षक रखे जाएं। इस विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य की अध्यक्षता में हुई, जिसमें सभी प्राध्यापकों ने अपने विचार साझा किए।

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अधिकारियों ने बैठक में मांगे सुझाव

 उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटीज से इस नई नीति के एक्सेक्यूशन में आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर सुझाव मांगे हैं। इस संबंध में बुधवार को मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में यूनिवर्सिटीज के प्राध्यापकों ने अपनी राय और सुझाव साझा किए। विद्वान का कहना था कि जब तक यूनिवर्सिटीज में आवश्यक शिक्षक नहीं होंगे, तब तक इस नई शिक्षा नीति का प्रभावी रूप से एक्सेक्यूशन करना मुश्किल होगा।

अन्य विषय भी पढ़ सकेंगे छात्र

प्रोफेसर्स का कहना है कि इस नई नीति के तहत, जैसे कि बीकॉम के छात्र अब विज्ञान और गणित जैसे विषय भी पढ़ सकेंगे, इसके लिए यूनिवर्सिटीज में आवश्यक विद्वान की नियुक्ति की जाए। इसके साथ ही, कुछ कॉलेजों में विद्वान की कमी को देखते हुए, विद्वान की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाए। कई यूनिवर्सिटीज में तो ऐसे विषय हैं जिनमें नियमित शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में यूनिवर्सिटीज को अतिथि विद्वान की नियुक्ति पर विचार करना चाहिए।

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सब्जेक्ट चुनने में होगी आसानी

नई शिक्षा नीति में जो प्रमुख बदलाव किए गए हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण पहल यह है कि अब छात्रों को विषयों का चयन करने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। जैसे बीकॉम के छात्र अब गणित और विज्ञान के विषय भी पढ़ सकते हैं। इससे छात्रों को कई नए अवसर मिलेंगे और वे अपनी रुचि और करियर के हिसाब से पाठ्यक्रम को चुन सकेंगे।

छात्रों के लिए होंगे ओरियंटेशन प्रोग्राम

इस बदलाव को सफल बनाने के लिए यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में ओरियंटेशन प्रोग्राम आयोजित किए जाने चाहिए। इससे शिक्षक और छात्र दोनों ही नई शिक्षा नीति के बारे में बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यूनिवर्सिटीज में विद्वान की कमी पूरी हो, ताकि छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

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हाईब्रिड मोड पर होंगी क्लासेस 

नई नीति के तहत, अब कुछ कक्षाओं को हाईब्रिड मोड में चलाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके जरिए छात्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल छात्रों की सीखने की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि इससे यूनिवर्सिटीज  की कार्यशैली में भी बदलाव आएगा।

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