सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के क्वालिटी टेस्ट में फेल हुईं ये 48 दवाइयां, चेक कीजिए कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं

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Rahul Garhwal
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सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के क्वालिटी टेस्ट में फेल हुईं ये 48 दवाइयां, चेक कीजिए कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं

BHOPAL. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के क्वालिटी टेस्ट में 48 दवाइयां फेल हो गईं हैं। कैल्शियम, मल्टीविटामिन, एंटीबायोटिक्स सहित 48 ऐसी दवाएं है जो क्वालिटी टेस्ट पास नहीं कर पाईं। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।



1497 दवाओं का क्वालिटी चेक



जानकारी के मुताबिक पिछले महीने 1497 दवाइयों का क्वालिटी चेक किया गया। इसमें से 48 दवाइयां फेल हो गईं। 3 प्रतिशत दवाइयां इंसानों के खाने लायक नहीं हैं।



मेडिकल इक्यूपमेंट्स और कॉस्मेटिक अच्छी क्वालिटी के नहीं



इस लिस्ट में दवाओं के साथ-साथ इक्यूपमेंट्स और कॉस्मेटिक की क्वालिटी अच्छी नहीं पाई गई। मेडिकल इक्यूपमेंट्स और कॉस्मेटिक भी अच्छी क्वालिटी के नहीं पाए गए। दवाओं में नकली, मिलावटी या गलत ब्रांडेड हैं। सीडीएससीओ की जांच रिपोर्ट में उत्तराखंड में बनी 14, हिमाचल प्रदेश की 13, कर्नाटक की 4, हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली की 2-2 और गुजरात, मध्य प्रदेश, सिक्किम, जम्मू और पुडुचेरी की एक-एक दवा शामिल है। इन दवाओं का निर्माण प्राइवेट और सरकारी दवा निर्माता करते हैं।



ये दवाइयां इंसानों के खाने लायक नहीं



सीडीएससीओ की रिपोर्ट के अनुसार लाइकोपीन मिनरल सिरप जैसी दवाएं भी शामिल हैं, जिनका लोग काफी मात्रा में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा विटामिन सी इंजेक्शन, फोलिक एसिड इंजेक्शन, एल्बेंडाजोल, कौशिक डॉक-500, निकोटिनामाइड इंजेक्शन, एमोक्सेनॉल प्लस और एल्सीफ्लोक्स जैसी दवाएं भी शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग विटामिन की कमी को ठीक करने, हाई बीपी को नियंत्रित करने, एलर्जी को रोकने, एसिड को नियंत्रित करने और फंगल इंफेक्शन को खत्म करने के लिए किया जाता है। आपको बता दें कि एक नामी कंपनी का टूथपेस्ट भी इन दवाओं में फेल हुआ है। इसका भी लोग काफी इस्तेमाल करते हैं।



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जांच में फेल हुई दवाओं के निर्माताओं को नोटिस



सीडीएससीओ की जांच में फेल हुई दवाइयों के निर्माताओं को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। सभी ड्रग इंस्पेक्टर फार्मा कंपनियों की जांच करेंगे। वहीं फेल होने वाली दवाइयां बाजार से वापस ली जाएंगी। सीडीएससीओ का काम कुछ महीनों में अलग-अलग फार्मा कंपनियों की दवाओं के सैंपल टेस्ट करना है। पिछले साल नवंबर में भी टेस्ट किया गया था। इसमें करीब 50 दवाइयां फेल हो गईं थीं। टेस्ट में फेल होने वाली कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां भी शामिल थीं।


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