मध्य प्रदेश में बोतलबंद पानी के नाम पर आपकी सेहत के साथ खिलवाड़, द सूत्र की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे

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Rahul Garhwal
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मध्य प्रदेश में बोतलबंद पानी के नाम पर आपकी सेहत के साथ खिलवाड़, द सूत्र की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे

अंकुश मौर्य, BHOPAL. यदि आप और आपका परिवार शुद्ध पानी की उम्मीद में रोजाना किसी वेंडर से 40-50 रुपए की कैन या जार खरीदकर पी रहे हैं तो सावधान हो जाएं। ये खबर आपकी चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल हमारे शहरों-कस्बों में आरओ या मिनरल वॉटर के नाम पर प्लास्टिक जार या कैन में जो पानी भरकर बेचा जा रहा है, उसके आपकी सेहत के लिहाज से शुद्ध और सुरक्षित होने की कोई गारंटी नहीं है। सरकार के स्तर पर पानी के जार या कैन की न कोई निगरानी होती है और न ही कोई जांच क्योंकि इनके लिए कोई नियम-कानून ही नहीं है। आरओ वॉटर के नाम पर पानी का प्लांट लगाने वाले संचालक सिर्फ गुमास्ता लाइसेंस के आधार पर रोजाना 15 से 18 करोड़ रुपए का पानी का कारोबार कर रहे हैं।





भोपाल में करीब 250 वॉटर प्लांट





राजधानी भोपाल में आरओ वॉटर और चिल्ड वॉटर के नाम पर छोटे-छोटे मकानों में करीब 250 प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। 10 लाख रुपए से भी कम लागत में धंधा शुरू हो जाता है। खास बात तो ये कि लोगों की सेहत से जुड़े इस कारोबार को करने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत ही नहीं है। दिखावे के लिए लोग गुमास्ता बनवा लेते है। द सूत्र की टीम ने जब आरओ और चिल्ड वॉटर बेचने वालों के प्लांट में जाकर पड़ताल की तो पता चला कि संचालकों ने कोई विधिवत अनुमति नहीं ली है। खाद्य एवं औषधि विभाग से होलसेलर के नाम पर एक लाइसेंस बनवा रखा है। यानी प्रोडक्शन आरओ वॉटर का कर रहे हैं और लाइसेंस होलसेलर या रिटेलर का ले रखा है।





'विभाग ने लाइसेंस ही जारी नहीं किया तो कार्रवाई कैसे करेंगे'





द सूत्र ने जब इस मामले में भोपाल के जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी देवेंद्र दुबे से सवाल किया तो उन्होंने केंद्र सरकार के फूड प्रोडक्ट्स रेग्युलेशन का हवाला देते हुए बताया कि पैक्ड वॉटर और वेंडिंग मशीन से बेचे जाने वाले पानी के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। यानी आरओ वॉटर और चिल्ड वॉटर के नाम पर पानी बेचने वालों के लिए कोई लाइसेंस का प्रावधान ही नहीं है। जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी देवेंद्र दुबे का कहना है कि जब विभाग ने लाइसेंस ही जारी नहीं किया तो कार्रवाई कैसे करेंगे। क्योंकि विभाग को तो ये भी नहीं पता कि मकानों में चल रहे इन प्लांट्स की संख्या कितनी है और किस पते पर ये संचालित किए जा रहे हैं।





24 पैरामीटर पर खरा उतरने वाला पानी पीने योग्य





ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स यानी बीआईएस के मुताबिक 24 पैरामीटर पर खरा उतरने वाले पानी को पीने योग्य माना गया है। लेकिन जिस पानी को आप शुद्ध जल समझकर पी रहे हैं वो कितने पैरामीटर को पूरा करता है, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। दूषित पानी पीने की वजह से कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।





ऐसा होना चाहिए पेयजल







  • पीने के पानी में पीएच का मान यानी साधारण भाषा में कहा जाए तो पानी में अम्लीयता का मान 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए।



  • पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन का मान 6 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा होना चाहिए, तभी पानी हेल्दी कहलाएगा।


  • पानी में टोटल डिजॉल्व सॉलिड यानी टीडीएस का मान 500 से कम होना चाहिए। यदि इससे ज्यादा होगा तो ऐसा पानी पीने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।


  • पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसी अशुद्धियों के मान भी तय किए गए हैं। इससे ज्यादा मात्रा में होने पर पानी की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।






  • सिर्फ वीडियो वायरल होने पर कार्रवाई करते हैं अधिकारी





    ऐसा नहीं है कि खाद्य एवं औषधि विभाग की नजर कभी पानी के इस व्यापार पर नहीं गई। पिछले सालों में आरओ वॉटर बनाने वाली फैक्ट्रियों के निरीक्षण और जांच के निर्देश भी जारी हो चुके हैं। साल 2019 और 2020 में आरओ वॉटर यूनिट के निरीक्षण के निर्देश दिए गए थे। लेकिन 2022 में जारी किए गए निर्देश को केवल पैकेज्ड वॉटर तक सीमित कर दिया गया है। अब खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारी तब कोई कार्रवाई करते हैं जब पानी की कैन में नाले का पानी भरते हुए वीडियो वायरल हो जाता है।





    खबर का मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि जागरूक करना है





    राज्य सरकार को इस पर स्वत: संज्ञान लेकर नियम बनाना चाहिए और कार्रवाई करना चाहिए क्योंकि सवाल आम आदमी की सेहत से जुड़ा है। द सूत्र एक जिम्मेदार मीडिया हाउस है। हमारा मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि जागरूक करना है और आप भी जो पानी पी रहे हैं, उसकी जांच खुद ही करवा सकते हैं। भोपाल के श्यामला हिल्स पर पीएचई विभाग की स्टेट वॉटर टेस्टिंग लैबोरेटरी है। यहां आप अपने घर पर आने वाले पानी का सैंपल देकर टेस्ट करा सकते हैं।



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