Chennai. अभी तक यही माना जाता था कि दिल का दौरा पड़ने के कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर होते हैं जिससे बच कर रहा जाए तो दिल की बीमारी नहीं हो सकती। लेकिन हाल ही में हुए ताजा शोध के मुताबिक हार्ट अटैक के हर 4 मामलों में से एक मामला ऐसा पाया गया है, जिसमें रोगी को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान जैसी समस्या नहीं थी। यह स्टडी साल 2018 से 2019 के बीच अस्पताल के हार्ट अटैक पंजीयन में दर्ज 2379 मरीजों के आंकड़ों पर आधारित है।
ऐसे मरीजों की मृत्यु की संभावना अधिक
मद्रास मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजी संस्थान में स्टडी करने वाले डॉ जी जस्टिन पाल ने बताया है कि लोगों का लगता है कि हृदय रोग संबंधी किसी कारक के न होने पर मृत्यु दर कम होनी चाहिए। लेकिन अध्ययन में यह पाया गया कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे मरीज जिनमें हाईब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान की लत नहीं थी उन्हें हार्टअटैक आया और उनकी मृत्यु की दर भी इन समस्याओं से ग्रसित मरीजों के मुकाबले ज्यादा पाई गई है। स्टडी करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इन समस्याओं से ग्रसित लोग चिकित्सकीय परामर्श लेते रहते हैं जबकि बिना जोखिम वाले मरीज ऐसा नहीं करते।
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महिलाओं में यह समस्या ज्यादा
शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे हार्ट पेशेंट्स में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा संजीदा नहीं होतीं। स्टडी में पाया गया कि जोखिम वाले कारकों के बिना दिल का दौरा पड़ने वालों की औसत आयु 57.4 पाई गई, जबकि जोखिम कारकों वाले मरीजों की औसत आयु 55.7 पाई गई।
भावनात्मक स्थिति भी है जिम्मेदार
डॉ जस्टिन पॉल के मुताबिक अगर एक चौथाई लोगों में बिना मानक जोखिम कारकों के दिल का दौरा पड़ रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि हार्ट अटैक के लिए अन्य जोखिम कारक भी हैं। जिसमें भावनात्मक स्थिति, अपराधबोध और तनाव भी उत्तरदायी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने दिल के दौरे के प्रभाव को कम करने ईटिंग, इमोशन और एक्सरसाइज का प्रबंधन करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि अगर आपके पास खराब जीन हैं तो भी एक स्वस्थ जीवनशैली अभिव्यक्ति बदल सकती है।