दुनियाभर में फैल रहा ‘हवाना सिंड्रोम’, झींगुर जैसी आवाजें सुनकर बीमार हो रहे लोग, भारत में मिले मामले, अब सरकार करेगी जांच

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Chandresh Sharma
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दुनियाभर में फैल रहा ‘हवाना सिंड्रोम’, झींगुर जैसी आवाजें सुनकर बीमार हो रहे लोग, भारत में मिले मामले, अब सरकार करेगी जांच

New Delhi. 'हवाना सिंड्रोम' नाम की मिस्टिरियस बीमारी ने दुनियाभर की चिंता बढ़ा दी है। ताइवान, ऑस्ट्रिया, जॉर्जिया, कोलंबिया, मॉस्को, किर्गिस्तान, पोलैंड, उज्बेकिस्तान और अन्य सहित कई देशों में 130 से अधिक मामले मिले हैं। हवाना सिंड्रोम में झींगुर जैसी आवाजें सुनकर लोगों को चक्कर आना, दिखाई न देना, ठीक से सुनाई न देना जैसे कई लक्षण मिल रहे हैं।



भारत में भी हुई मरीजों की पहचान



भारत की मोदी सरकार भी अब इस सिंड्रोम की जांच कराने जा रही है। इसके लिए एक समिति बनाई है। केंद्र सरकार ने यह कदम 27 जुलाई को कर्नाटक हाईकोर्ट जांच करने के निर्देश के बाद उठाया है। जानते हैं, आखिर हवाना सिंड्रोम है क्या?, कोई बीमारी या फिर गुप्त हथियार है? अब तक की जांच में क्या निकला...



अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बीमारी पर काम कर रहे अधिकारियों ने पिछले कुछ सालों में झींगुर जैसी आवाजें सुनकर बीमार हो रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस वियतनाम के हनोई के लिए उड़ान भरने वाली थीं, लेकिन वियतनाम में एक अमेरिकी अधिकारी ने 'हवाना सिंड्रोम' के लक्षणों की सूचना दी। इसके बाद उनकी यात्रा में देरी हो गई। उसी साल भारत में इस तरह का पहला मामला सामने आया, जब एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स के साथ नई दिल्ली की यात्रा कर रहा था। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस स्थिति से क्या दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन सिंड्रोम और इसके संभावित कारणों को समझने के लिए शोध चल रहा है। 



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बीमारी नर्वस सिस्टम से संबंधित 




यह अजीब सी होने वाली बीमारी नर्वस सिस्टम से संबंधित है। दुनियाभर के कई देशों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन अब तक इसका पुख्ता कारण सामने नहीं आ सका है। आखिर यह बीमारी बढ़ती कैसे है आरै यह एक रहस्यमयी बीमारी कैसी है। 



ऐसे सामने आया मामला




साल 2016 में सुर्खियों में हवाना सिंड्रोल को लेकर तब हंगामा मच गया, जब अमेरिकी और कनाडाई राजनयिकों और क्यूबा में तैनात सीआईए एजेंटों को चक्कर आना, दिखाई न देना, ठीक से सुनाई न देना इन कठिनाइयों जैसे कई लक्षणों का अनुभव होने लगा। लक्षणों का कारण अब तक रहस्य बना हुआ है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक प्रकार की आवाज (झींगुर) इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है, जो पीड़ितों को किसी प्रकार की ऊर्जा तरंग के संपर्क में लाता है। 



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शोर किसी प्रकार की माइक्रोवेव ऊर्जा या चुंबकीय क्षेत्र के कारण!




ऐसा माना जाता है कि यह किसी प्रकार के ऊर्जा हथियार या निर्देशित ऊर्जा उपकरण के कारण होता है। बीमारी के लक्षणों की शुरुआत से पहले एक अजीब सी आवाज आती थी। ध्वनि की तेज किरण या गुनगुनाहट पीसने वाली आवाज के रूप में वर्णित किया गया है। अनुमान लगाया गया है कि यह शोर किसी प्रकार की माइक्रोवेव ऊर्जा या चुंबकीय क्षेत्र के कारण होता है।



हवाना सिंड्रोम के लक्षण 




- हवाना सिंड्रोम के मरीज बहुत जल्दी कमजोर हो जाते हैं। 




- यह बीमारी काफी लंबे समय तक रहने वाले हो सकते हैं। 




- प्रभावित लोगों ने एकाग्रता और याददाश्त में समस्या होती है। 




- सोने में कठिनाई, सिरदर्द और मतली की शिकायत होती है। 




- बोलने और सुनने में भी दिक्कत होती है। 




- कुछ पीड़ितों ने अत्यधिक थकान या भटकाव महसूस होता है।



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चीन, रूस जैसे देशों में भी मिले मामले 




पिछले कुछ सालों से चीन, रूस और अन्य यूरोपीय देशों सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के लक्षण सामने आए हैं। भारत में भी लंबे समय तक तेज आवाज या इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षणों के मामले सामने आए हैं। मामले में वैज्ञानिक जांच में जुट गए हैं। 



हवाना सिंड्रोम का वर्तमान में कोई इलाज या उपचार उपलब्ध नहीं 




हवाना सिंड्रोम की बीमारी से प्रभावित लोगों के लिए लक्षणों को कम करने में मदद के लिए वर्तमान में कोई इलाज या उपचार उपलब्ध नहीं है, हालांकि संभावित उपचारों पर शोध जारी है। प्रभावित लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने किसी भी लक्षण के बारे में अपने डॉक्टर से तुरंत बात करें और यदि आवश्यक हो तो पेशेवर चिकित्सा सलाह लें। 



हवाना सिंड्रोम पर भारत सरकार अलर्ट, बनाई समिति, हेल्पलाइन शुरू करने की तैयारी




हवाना सिंड्रोम को लेकर भारत सरकार अलर्ट हो गई है। सरकार ने एक समिति का गठन किया है। यह समिति भारत में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षणों की सभी रिपोर्टों की जांच करेगी और किसी भी संभावित पर्यावरणीय या मानव निर्मित कारकों पर भी विचार करेगी, जो इसमें योगदान दे सकते हैं।  सरकार प्रभावित लोगों के लिए एक हेल्पलाइन भी शुरू करने की योजना बना रही है, ताकि उन्हें जल्दी और आसानी से चिकित्सा सहायता मिल सके।


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