IMA ने जारी की एडवाइजरी: एंटीबायोटिक्स लेने से बचें लोग, शरीर पर डालती है नकारात्मक प्रभाव

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The Sootr
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IMA ने जारी की एडवाइजरी: एंटीबायोटिक्स लेने से बचें लोग, शरीर पर डालती है नकारात्मक प्रभाव

NEW DELHI. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से एजिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेने से बचने का आग्रह किया। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल और अन्य सदस्यों ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि जब एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती, तो इन्हें लेने से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस शरीर में डेवलप हो जाता है।





एच3एन2 वायरस के हैं अधिकतर मामले





डॉक्टरों का कहना है कि छोटी छोटी बीमारी में अगर एंटीबायोटिक्स लेंगे तो जब भी शरीर को वाकई में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग की जरूरत होगी तो वे प्रतिरोध के कारण काम नहीं करेंगी।उन्होंने कहा कि हाल ही में खांसी, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। संक्रमण लगभग 5 से 7 दिनों तक रहता है। बुखार तीन दिनों में चला जाता है। खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। NCDC से मिली जानकारी के अनुसार, ये ज्यादातर मामले एच3एन2 वायरस के हैं।





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मौसमी बीमारी होना आम बात





एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि इन्फ्लुएंजा और अन्य वायरस के कारण अक्टूबर से फरवरी के दौरान मौसमी सर्दी या खांसी होना आम बात है। उदाहरण के लिए, डायरिया के 70% मामले वायरल के हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, लेकिन डॉक्टरों की तरफ से एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जा रही है। जिसके कारण मरीज के शरीर में इन दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस पॉॉव डेवलप हो जाता है। और इन दवाओं का फिर आगे चलकर मरीज के शरीर पर कोई असर नहीं होता है है इसके कारण मरीज को भविष्य में जरुरत पड़ने पर भारी एंटीबायोटिक्स देना पड़ती है। 





इस समय खांसी-बुखार के मामलों में बढ़ोतरी





भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में पिछले दो-तीन महीने से लगातार खांसी और किसी-किसी मामले में बुखार के साथ खांसी होने का कारण ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का उपस्वरूप ‘एच3एन2’ है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने भी कहा कि पिछले दो-तीन महीने से व्यापक रूप से व्याप्त एच3एन2 अन्य उपस्वरूपों की तुलना में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने का बड़ा कारण है। 



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