भोपाल. प्रदेश के चार जिलों भोपाल, इंदौर, उज्जैन और अशोकनगर में घोड़ों के आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन जिलों में संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स के लक्षण मिले हैं। पशुपालन विभाग ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन में बताया गया कि संक्रमण वाले जिलों में पशु मेले, घोड़े और उसकी प्रजाति के पशुओं जैसे- गधे, खच्चर की आवाजाही, मेले-प्रदर्शनी, खेलकूद और एक जगह इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जानकारी के अनुसार इस बीमारी से संक्रमित घोड़े से गधा, खच्चर, कुत्ते, बिल्ली, बकरी के साथ इंसान में भी बीमारी फैलाने का खतरा होता है।
इन जगहों पर मिला संक्रमण
भोपाल जिले की नवबहार कॉलोनी, इंदौर के ब्लॉक निरंजनपुर, उज्जैन जिले के ग्राम पानबिहार, घटिया ब्लॉक और ग्राम बड़नगर एवं अशोकनगर के शहरी क्षेत्र में घोड़ों में यह संक्रमण मिला है। इस कारण पशुपालन विभाग ने इन जिलों में घोड़ों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है।
संपर्क में आने से फैलता है संक्रमण
ग्लैंडर्स अति संक्रामक बीमारी है। यह घोड़ों से फैलती है। इस बीमारी में उनके शरीर पर ठीक न होने वाले घाव समेत कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं। संक्रमण ज्यादा फैलने पर घोड़े की मौत भी हो जाती है। यह बीमारी को छूत के रोग की श्रेणी में रखा गया है। संक्रमित घोड़े के संपर्क में आने से यह रोग मनुष्यों, गधे, कुत्ते, बिल्ली, बकरी में भी फैल सकता है। इसलिए केंद्र सरकार ने संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए बने एक्ट में ग्लैंडर्स को शामिल किया है। जानकारी के अनुसार पहली बार देश में इस बीमारी का संक्रमण 2006 में सामने आया था।
बीमारी से ग्रसित जानवर को मार दिया जाता है
ये एक बैक्टेरियल रोग है। ये एक्यूटेड बैक्टीरिया होता है और ये एंट्रा सेल्यूलर होता है। यानी ये सेल के अंदर ही घुस जाता है। इस कारण इस बीमारी में दवाइयां ज्यादा प्रभावी नहीं होती है इसलिए इसका इलाज नहीं किया जा सकता है। कोई जानवर या इंसान अगर इसके संपर्क में आ जाए तो बीमारी का खतरा बना रहता है। इस बीमारी से ग्रसित जानवर को जहर देकर मार दिया जाता है। साथ ही छह से सात फीट गहरे गड्ढे में दफनाया जाता है।