ग्लूकोमा बीमारी में योग असरदार है। एक रिसर्च में साबित हो चुका है कि मेडिटेशन ग्लूकोमा के इलाज में एक एडिशनल थैरेपी की तरह काम करती है। मेडिटेशन मरीजों के मस्तिष्क का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है और आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले इंट्राकुलर प्रेशर को घटाता है। यह सूजन घटाता है, घाव को भरता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है।
ग्लूकोमा क्या है
यह आंखों में अंदरूनी दबाव से जुड़़ी बीमारी है, जिसके लक्षण नहीं दिखाई देते। लंबे समय तक बढ़े हुए दबाव की वजह से आंखों की नस यानी ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती हैं और रोशनी घटती चली जाती है। इलाज न होने पर मरीज़ हमेशा के लिए आंखों की रोशनी खो सकता है।यह एक आम बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन, 60 साल से ज्यादा आयु के लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है।
रिसर्च के अनुसार....
ग्लूकोमा की बीमारी में ट्रेब्रिकुलर मेशवर्क जीन का अहम रोल होता है। हालिया रिसर्च में यह खोज की जा रही है कि मेडिटेशन का ट्रेब्रिकुलर मेशवर्क जीन एक्सप्रेशन पर क्या असर पड़ता है । ऐसा पाया गया कि ग्लूकोमा के मरीजों में मेडिटेशन से जीन में सकारात्मक बदलाव आता है। युवाओं में बेचैनी और बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले कॉमन हैं। मानसिक रोग और आंखों की बीमारियों में एक कनेक्शन पाया जाता है। मेडिटेशन से ग्लूकोमा के मरीजों को राहत मिलती है।