अजय छाबरिया,BHOPAL. कबाड़ से भोपल में रूद्र वीणा बनाई गई है, जिसे भोपाल के अटल पथ पर रखा गया है। इस रूद्र वीणा की लंबाई 28 फीट, ऊंचाई 12 फीट और चौड़ाई 10 फीट है। जिसका वजन 5 क्विंटल है। वीणा को रूद्र नाम दिया गया है,इस रुद्र वीणा को बनाने में 6 माह का समय लगा। रूद्र वीणा को स्थायी रूप से अटल पथ पर रखने में 14 कलाकारों की टीम को 4 घंटे से अधिक का समय लगा।
15 लोगों की टीम ने बनाई रुद्र वीणा
रुद्र वीणा को बनाने में भोपाल के देवेंद्र शाक्य और पवन देशपांडे की अहम् भूमिका रही और साथ में अन्य 15 लोगों ने भी साथ में काम किया। इसे गाड़ियों के स्क्रैब जैसे चैन, गियर, बैरिंग, वायर आदि से मिलकर बनाया गया है। इस वीणा का वजन 5 टन यानी 50 क्विंटल है। पवन देशपांडे ने बताया की रूद्र वीणा को तैयार हुए 4 माह हो चुके है। जब से ही ऐसी जगह का चुनाव करने में जुटे थे जहां पर अधिक से अधिक लोग बिना किसी बाधा के पहुंच सकें और अधिक से अधिक लोग इस वीणा को देख सकेंगे
भोपाल में सबसे बड़ी वीणा का दावा
भोपाल में रूद्र वीणा के बनने से पहले ही अयोध्या में 14 टन की भव्य कांस्य वीणा बनी हैए लेकिन दावा है कि कबाड़ से भोपाल में दुनिया की सबसे बड़ी वीणा बनाई गई है।
इससे पहले भी बना चुके हैं कई चीजें
कबाड़ से रूद्र वीणा बनाने वाले पवन देशपांडे ने बताया की उनकी टीम चार अन्य चीजें भी बना चुकी है जिसमे शामिल है कबाड़ से रेडियो, गिटार, राजा भोज हैं, जो शहर के बोट क्लब, रोशनपुरा चौराहा, आईएसबीटी और सुभाषनगर चौराहे पर स्थापित हैं। पांचवां प्रोजेक्ट वीणा का रहा, जब नए प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा कर रहे थे तो वीणा तैयार करने का आइडिया आया। साथियों ने रुद्र वीणा बनाने का सुझाव दिया। भारतीय थीम पर काम करना चाहते थे। ताकि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति के बारे में और ज्यादा जान सके।
सेल्फी के साथ सुन सकेंगे वीणा की संगीतमय धुन
रूद्र वीणा लोगों में सेल्फी का तो क्रेज बढ़ाएगी ही। इसके साथ-साथ उसमें संगीतमय मधुर धुन बजेगी जो लोगों को सबसे अधिक आकर्षित करेगी पवन ने बताया की रूद्र वीणा के माध्यम से लोग वास्तविक वीणा जैसी धुन सुन सकेंगे और आने वाली पीढ़िया भी रूद्र वीणा के बारे में जान सकेगी।
सबसे कठिन रहा कबाड़ ढूंढना
पवन देशपांडे ने बताया की वीणा में गाड़ियों के स्पेयर पार्ट्स जैसे बाइक की चैन, गियर बॉक्स, बैरिंग, वायर लोहे की बड़ी चैन के अलावा बॉटल और पाइप का उपयोग किया गया। देवेंद्र शाक्य ने बताया कि वीणा बनाने के दौरान कबाड़ ढूंढना सबसे मुश्किल था। क्योंकि एक जैसे पार्ट्स मिलने मुश्किल थे। ऐसे में कबाड़ खाना के अलावा मैकेनिकों से भी संपर्क किया। इसमें करीब 15 से 20 लाख रुपए का खर्चा आ चुका है।
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