खेल में हार- जीत चलती है, लेकिन असल जिंदगी की हार महंगी होती है। ऐसा ही हाल खेल मंत्री के गृह जिले के रहने वाले सुभाष चंद्र का है। सुभाष ने एक दो बार नहीं बल्कि आठ बार हिमाचल का प्रतिनिधत्व नेशनल में किया है। सरकार की अनदेखी ने आज इन्हें चप्पल सिलने पर मजबूर किया है।
जूते की दुकान चलाने को मजबूर
90 के दशक में उन्होंने अलग- अलग वर्गों से खेला था, लेकिन सरकार की अनदेखी की वजह से आज वो जूते सिलने को मजबूर है। हिमाचल के हमीरपुर में इनकी दुकान है। सुभाष ने खेलना छोड़ दिया । वो अपने बच्चों को भी खेलने से रोकते है। सुभाष के लिए कई संगठनों ने अलग- अलग मंच से गुहार लगाई है पर कोई फायदा नहीं हुआ।