हिंदू दुनिया का सबसे पुराना धर्म, पर इस शब्द को लेकर कई थ्योरी, लेकिन यह भारतीय प्राचीन ग्रंथों की ही देन

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The Sootr CG
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हिंदू दुनिया का सबसे पुराना धर्म, पर इस शब्द को लेकर कई थ्योरी, लेकिन यह भारतीय प्राचीन ग्रंथों की ही देन

कई बार कह दिया जाता है कि हिंदू शब्द तो महज किसी विदेशी संस्कृति से आया शाब्दिक उच्चारण है। आज की कहानी में यही सुनाऊंगा कि हिंदू शब्द आया कहां से। आज की कहानी को मैंने नाम दिया है- इस हिंदू को जान लीजिए...

दुनिया का सबसे पुराना धर्म है हिंदू धर्म। 5 हजार वर्ष पहले तक कोई दूसरा धर्म अस्तित्व में ही नहीं था। ये ऐतिहासिक फैक्ट है। ऋग्वेद की रचना 1500 बीसी से 1000 बीसी के बीच मानी जाती है, लेकिन इस तिथि में कुछ विवाद है, पर मान लेते हैं। ऋग्वेद एक सूक्त है- अब से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं, अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था। छिपा था क्या, कहां, किसने ढंका था, उस पर तो अगम अतल जल भी कहां था...इससे बड़ी कोई लाइन नहीं है। स्वाभाविक है कि हिंदुओं को कभी ये ख्याल नहीं आया कि कोई नया धर्म जन्म लेगा और बेवजह के विवाद शुरू जाएंगे। 

अगर दुनिया के धर्मों की बात करें तो छठी सदी ईसा पूर्व बौद्ध और जैन धर्म आए। जैन धर्म के एक तीर्थंकर (नेमिनाथ या अरिष्टनेमि) भगवान कृष्ण के समकालीन बताए जाते हैं। 2023 साल पहले ईसाई धर्म आया। इस दौरान तक भी धर्म के लिए युद्ध नहीं होते थे। इस्लाम छठी शताब्दी में आया। पैगबंर हजरत मोहम्मद 570 ईसवी में पैदा हुए और 632 ईसवी तक रहे। 622 ईसवी में वो मक्का से मदीना चले गए। इसे हिजरा कहा जाता है। इसी साल से हिजरी सन की शुरुआत मानी जाती है। 

अब सवाल 'हिंदू' शब्द के संदर्भ में। कुछ विदेशी लेखक यह मानते हैं कि 'हिंदू' नाम का कोई धर्म नहीं है। शिकागो यूनिवर्सिटी में धर्मशास्त्र पढ़ाने वाली वेंडी डोनिगर की किताब 'हिंदूज़ : एन आल्टरनेटिव हिस्ट्रीज' (हिंदुओं का वैकल्पिक इतिहास) कुछ विवाद फैलाती है। इस किताब में जो लिखा गया है वह भारत के सामाजिक ताने-बाने को विखंडित करता है। ऐसे कई अंग्रेज लेखक हैं, जिनको इंडियन राइटर फॉलो करते हैं। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने कई बातें प्रचारित कीं। एक ये कि भारत में जैसे आर्य यानी सभ्य लोग आए। उसी तरह हम भी आए हैं जो आपसे यानी भारतीयों से ज्यादा सभ्य हैं। दूसरा ये कि भारतीयों को इतिहास लिखते नहीं आता। हम यानी ब्रिटिश जो इतिहास लिखेंगे, वही सही होगा और आपको मानना होगा। यहीं गलती हो जाती है।

हिंदुओं को ही आर्य, वैदिक और सनातनी कहा गया है। दुष्प्रचार के कारण कुछ लोग खुद को 'हिंदू' न कहकर आर्य समाजी कहते हैं। लेकिन भारतीय लेखक या इतिहासकार कुछ किताबें पढ़कर अपनी धारणा बना लेते हैं और असल फैक्ट के करीब नहीं जाते। 

अब वो प्रश्न जो बार-बार उठते हैं -क्या 'हिन्दू' शब्द की उत्पत्ति सिन्धु के कारण नहीं हुई?
* क्या सिन्धु नदी के आसपास रहने वालों को ईरानियों ने हिंदू कहना शुरू किया, क्योंकि उनकी जुबान से 'स' का उच्चारण नहीं होता था?
* क्या हिंदू शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया शब्द है?
* क्या 'इन्दु' शब्द से 'हिन्दू' शब्द बना?
* क्या प्राचीनकाल से ही 'हिन्दू' शब्द प्रचलित था?

सिंधु से बना हिंदू : हम सभी जानते हैं कि भारत की एक नदी है सिंधु। सिंधु, ब्रह्मपुत्र और सतलुज मानसरोवर से निकलती हैं। भारत विभाजन के बाद अब वह पाकिस्तान का हिस्सा है। ऋग्वेद में सप्त सिंधु का उल्लेख मिलता है। वह भूमि जहां आर्य रहते थे। भाषाविदों के अनुसार हिन्द-आर्य भाषाओं की 'स्' ध्वनि (संस्कृत का व्यंजन 'स्') ईरानी भाषाओं की 'ह्' ध्वनि में बदल जाती है, इसलिए सप्त सिंधु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) में जाकर हफ्त हिन्दू में परिवर्तित हो गया (अवेस्ता : वेंदीदाद, फर्गर्द 1.18)। इसके बाद ईरानियों ने सिन्धु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। ईरान के पतन के बाद जब अरब से मुस्लिम हमलावर भारत में आए तो उन्होंने भारत के मूल धर्मावलंबियों को हिंदू कहना शुरू कर दिया। इस तरह हिन्दुओं को 'हिन्दू' शब्द मिला।

लेकिन क्या यह सही है कि ईरानियों और अरबों ने हिन्दुओं को हिन्दू नाम दिया?

पारसी धर्म की स्थापना आर्यों की एक शाखा ने 700 ईसा पूर्व की थी। मात्र 700 ईसापूर्व? बाद में इस धर्म को संगठित रूप दिया जरथुस्त्र ने। इस धर्म के संस्थापक थे अत्रि कुल के लोग। यदि पारसियों को 'स्' के उच्चारण में दिक्कत होती तो वे सिन्धु नदी को भी हिन्दू नदी ही कहते और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भी हिन्द कहते और सि‍न्धियों को भी हिन्दू कहते। आज भी सिन्धु है और सिन्धी भी। दूसरी बात यह कि उनके अनुसार फिर तो संस्कृत का नाम भी हंस्कृत होना चाहिए। 

'हिन्दू' शब्द का सबसे बड़ा प्रमाण पारसियों की किताब से पूर्व की किताबों में भी मिलता है। उस किताब का नाम है  विशालाक्ष शिव द्वारा लिखित बार्हस्पत्य शास्त्र। बाद में वराहमिहिर रचित 'बृहत्संहिता' में भी इसका उल्लेख मिलता है। बृहस्पति आगम ने भी इसका उल्लेख किया।

इन्दु से बना हिन्दू : चीनी यात्री ह्वेनसांग के समय में 'हिन्दू' शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि 'हिन्दू' शब्द 'इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है, से बना है। चीन में भी 'इन्दु' को 'इंतु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष चंद्रमा को बहुत महत्व देता है। हमारे यहां राशि का निर्धारण चंद्रमा के आधार पर ही होता है। चंद्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इंतु' या 'हिंदू' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही हिंदू शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम पारसियों या मुसलमानों की देन नहीं है।

बृहस्पति आगम : विशालाक्ष शिव द्वारा रचित राजनीति के महान शास्त्र का संक्षित महर्षि बृहस्पति ने बार्हस्पत्य शात्र नाम से किया। फिर वराहमिहिर ने एक शास्त्र लिखा जिसका नाम बृहत्संहिता है। इसके बाद बृहस्पति-आगम की रचना हुई। 'बृहस्पति आगम' सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीनकाल में लिखा जा चुके थे। अतः उसमें 'हिंदुस्थान' का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिंदू (या हिंदुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था ना कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।  

इसके एक श्लोक में कहा गया है:

ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:।
हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।

इसका मतलब है कि 'ॐकार' जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है तथा हिंसा की जो निंदा करता है, वह हिन्दू है।

बृहस्पति आगम का श्लोक है : 'हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥

अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

हिमालय से हिन्दू : एक अन्य विचार के अनुसार हिमालय के प्रथम अक्षर 'हि' एवं 'इन्दु' का अंतिम अक्षर 'न्दु'। इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना 'हिन्दू' और यह भू-भाग हिन्दुस्थान कहलाया। 'हिन्दू' शब्द उस समय धर्म की बजाय राष्ट्रीयता के रूप में प्रयुक्त होता था। चूंकि उस समय भारत में केवल वैदिक धर्म को ही मानने वाले लोग थे और तब तक अन्य किसी धर्म का उदय नहीं हुआ था इसलिए हिंदू शब्द सभी भारतीयों के लिए प्रयुक्त होता था। भारत में हिंदुओं के बसने के कारण कालांतर में विदेशियों ने इस शब्द को धर्म के संदर्भ में प्रयोग करना शुरू कर दिया।

दरअसल, 'हिन्दू' नाम तुर्क, फारसी, अरबों आदि के प्रभाव काल के दौर से भी पहले से चला आ रहा है जिसका एक उदाहरण हिन्दूकुश पर्वतमाला का इतिहास है। इस शब्द के संस्कृत व लौकिक साहित्य में प्रमाण मिलते हैं। उपनिषदों के काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में हिंदू शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलता है। कई विद्वानों का मत है कि हिंदू शब्द प्राचीनकाल से सामान्यजनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है।