BHOPAL. आधुनिक भारत (Modern India) के निर्माता, भारतीय क्रांति (Indian Revolution) के जनक, महान स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter), समाज सुधारक (social reformer) और प्रखर चिंतक (strong thinker) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Lokmanya Bal Gangadhar Tilak) की आज (1 अगस्त 2022) 102वीं पुण्यतिथि (Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary) है।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है- तिलक
'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा' का नारा देकर लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों में क्रांति का बीज बोया था। लोकमान्य तिलक का नाम बलवंत राव था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलन छेड़े। लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्र भारत की नींव रखी थी।
10 साल की तापिबाई हुई शादी
बालगंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के रत्नागिरी (Ratnagiri) में चित्पावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाल गंगाधर का नाम केशव गंगाधर रखा गया। तिलक काफी छोटे थे जब उनकी मां का निधन हो गया। उनके पिता गंगाधर तिलक संस्कृति के स्कॉलर और शिक्षक थे। बचपन से ही तिलक को गणित में काफी दिलचस्पि थी। तिलक 10 साल की उम्र में रत्नागिरी से पुणे आए। यहां तिलक ने एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल जॉइन किया।
मैट्रिक की पढाई के दौरान ही तिलक की 10 साल की तापिबाई से शादी हुई। तापिबाई का नाम बाद में सत्यभामा पड़ा। इसके बाद तिलक ने डेक्कन कॉलेज में एडमिशन लिया। फिर 1977 में बीए (BA) फर्स्ट डिवीजन से पास की। जब तिलक 16 साल के हुए तो उनके पिता का साथ भी छूट गया।
ऐसे कहलाए तिलक, 'लोकमान्य'
बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहले लीडर थे। उन्होंने पत्रकारिता (Journalism) से समाज की कुरीतियों को खत्म करने की जिम्मेदारी भी ली। उनकी कुशल विरोध (Skillful protest) वाली नीति (Policy) से अंग्रेजी शासक परेशान थे। तिलक को अपने प्रोटेस्ट के चलते ब्रिटिश सरकार द्वारा कई मुकदमे (litigation) और उत्पीड़न (harassment) का सामना करना पड़ा। ये समय 1897 का था जब तिलक पर पहली बार राजद्रोह का केस फाइल हुआ। इस केस के चलते उन्हें जेल में डाल दिया गया। इसी केस और सजा के चलते उन्हें 'लोकमान्य' की उपाधि दी गई। लोगों के लिए लोकमान्य तिलक एक उदारवादी हिन्दुत्व के एड्वोकेट थे।
Modern India के Founder बने तिलक
लोकमान्य तिलक के आंदोलनों से भारतीयों मं आजादी की चिंगारी लगी। आजाद भारत तब हर किसी का सपना बन गया था। बाल गंगाधर के विचारों से अंग्रेजी शासकों में भी डर ने जन्म ले लिया था। वो डर, जिसने ब्रिटिश शासन के मन में ये जगा दिया कि कहीं भारतीय अपने मनसूबों में सफल न हो जाएं। तिलक का सारा जीवन, समाज की कुरीतियों को दूर करने और जागरूकता फैलाने में बीता। यही कारण रहा कि वे लोकमान्य नाम से ज्यादा पहचाने जाने लगे।
काला दिन
काला दिन (1 अगस्त 1920) जब भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जीवन लगा देने वाले बाल गंगाधर तिलक का अचानक निधन हो गया। उनके निधन की खबर से देशभर शोक माहौल बन गया। लोकमान्य के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता बताया था। वहीं, पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने कहा था कि, आज हिंदुस्तान ने भारतीय क्रांति के जनक को खो दिया है।