नेहरु ने जिन दिनकर को राज्यसभा पहुंचाया, उन्हीं ने भरी सभा में लताड़ा

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The Sootr CG
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नेहरु ने जिन दिनकर को राज्यसभा पहुंचाया, उन्हीं ने भरी सभा में लताड़ा

जयराम शुक्ल. रामधारी सिंह दिनकर नेहरु के करीबी माने जाते थे। प्रधानमंत्री रहते हुए पंड्डिजी ने ही उन्हें राष्ट्रकवि का खिताब बख्शा और राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से मनोनीत करवाया। दिनकर की किताब, संस्कृति के चार अध्याय की भूमिका जवाहरलाल नेहरु ने ही लिखी थी, लेकिन जब 1962 के युद्ध में हमारे सैनिक मारे गए तब वो नेहरू की आलोचना करने से भी नहीं चूके.. 

परशुराम की प्रतीक्षा में दिनकर संकेत देते हुए लिखते हैं..



घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है



लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है।



जिस पापी को गुण नहीं, गोत्र प्यारा है



समझो, उसने ही हमें यहां मारा है।



या फिर सेना के लिए हुई खरीदी से जुड़े जीप घोटाले के आरोपी व तत्कालीन रक्षामंत्री कृष्णा मेनन जैसे नेहरु प्रिय चाटुकारों को इंगित करते हुए दहाड़ते हैं..



चोरों के जो हितू ठगों के बल हैं,



जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं।



जो छल प्रपंच सब को प्रश्नय देते हैं,



या चाटुकार जन की सेवा लेते हैं।



यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,



भारत अपने ही घर में हार गया है।


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