भारतीय सिनेमा की चर्चित फिल्म नायक, जिसमें अनिल कपूर ने पत्रकार की भूमिका निभाई थी। उस फिल्म में अनिल कपूर एक दिन के लिए सीएम बनते हैं, और उस दौरान वे किसान बनकर जनता का हाल लेने जाते हैं ठीक इसी तरह का मामला भारतीय राजनीति में भी हो चुका है। मामला 1967 की संविद सरकार का है। संविद सरकार यानि संयुक्त विधायक दल की सरकार। दरअसल 'संविद' भारत का एक राजनीतिक दल था, जिसका गठन उस दौरान कई राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव के बाद किया गया था। 1967 में भारत के चौथे आम चुनावों में इस दल को भारी सफलता मिली थी। कई राज्यों में इसने कांग्रेस को हराकर सरकार बनाई और केन्द्र में भी कांग्रेस बहुत कम बहुमत से ही जीत पाई थी। तो मध्यप्रदेश में भी संविद सरकार का गठन हुआ और मुख्यमंत्री बनाए गए गोविंद नारायण सिंह... गोविंद नारायण सिंह यानि ध्रुवनारायण सिंह के पिताजी। अपनी विवादित कार्यप्रणाली सहित कई कारणों से यह सरकार चर्चा में रही, मगर इसी सरकार के एक मंत्री थे लक्ष्मी नारायण शर्मा। भोपाल के बैरसिया से विधायक लक्ष्मीनारायण शर्मा से जुड़ा एक अनसुना किस्सा है।
जब बदला वेशः वरिष्ठ पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी की पुस्तक राजनीतिनामा में इस घटना का जिक्र आता है। दरअसल हुआ यूं कि राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा एक दिन किसान के वेश में निकल गए लोगों की समस्याओं की जमीनी हकीकत पता करने। घुटने तक धोती, सिर पर साफा बांधे शर्मा जब आष्टा तहसील पहुंचे तो बाहर ही कुछ किसान मिल गए। समस्या वही, किसानों की जमीन के दाखिल— खारिज की। शर्मा ने सबकी समस्याएं समझीं और पहुंच गए तहसीलदार के केबिन में। शर्मा जब तहसीलदार से सवाल— जवाब करने लगे तो जाहिर है, उस समय का अफसर वह तहसीलदार भड़क उठा और बोला कि आखिर तुम्हें क्या तकलीफ है? कौन हो तुम?
ये दिया था जबावः जवाब मिला— लक्ष्मीनारायण शर्मा, रेवेन्यू मिनिस्टर का नाम सुना है?
फिर क्या था, तहसीलदार साहब के तेवर ढीले पड़ गए। हालत पसीने— पसीने... किसानों का काम फटाफट हो गया... मंत्रीजी के इस दौरे की बात पूरे प्रदेश में फैल गई। बताते हैं कि फिर तो अगले छह महीने में पूरे प्रदेश में किसानों के छह लाख से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण किया गया।