PANNA. जंगल की निराली दुनिया में कुछ न कुछ विचित्र, हैरतअंगेज व रोमांचकारी घटनाएं घटित होती रहती हैं। ऐसी ही एक घटना पिछले हफ्ते पन्ना जनपद की रक्सेहा पंचायत के अंतर्गत आने वाले बिल्हा गांव के जंगल में घटित हुई। अविश्वसनीय सी लगने वाली यह घटना ऐसी है, जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। दरअसल बिल्हा गांव का 20 वर्षीय युवक कैलाश पटेल उर्फ बच्चू अपने पड़ोसी महेंद्र पटेल 28 वर्ष के साथ 12 जुलाई को दोपहर गांव से लगी वनाच्छादित पहाड़ी में अपनी भैंसों को ढूंढने के लिए गया था। मालूम हो कि ग्रामीण अपने मवेशियों को चरने के लिए जंगल में छोड़ देते हैं। मवेशी जब वापस नहीं लौटते तो उन्हें ढूंढने जंगल जाते हैं। कैलाश पटेल के बड़े भाई साहब पटेल ने घटना के बारे में बताया कि चरने के लिए जंगल गई उनकी भैंसें जब दो दिन तक वापस नहीं लौटी, तो छोटा भाई उन्हें ढूंढने के लिए जंगल गया था। जंगल जाना गांव वालों के लिए सामान्य व रूटीन का काम है। लेकिन उस दिन जंगल में जो कुछ घटित हुआ, उसके बाद से गांव के लोग दहशत में हैं और अब अकेले कोई जंगल नहीं जाता।
साहब पटेल ने बताया कि छोटा भाई कैलाश अपने साथी के साथ पहाड़ी में ऊपर जब घने जंगल में पहुंचा, तो वहां उसे भैंसें तो नहीं मिलीं लेकिन सामने से आती बाघिन जरूर दिख गई। बाघिन को नजदीक आते देख दोनों युवक घबरा गए और जान बचाकर वहां से भागे। बाघिन से बचकर भागने में दोनों एक दूसरे से बिछड़ गए। साहब पटेल बताते हैं कि मेरा भाई भाग ही रहा था कि जंगल में उसका सामना भालू से हो गया। इसके पहले कि भालू हमला करता, कैलाश दौड़कर पास स्थित तेंदू के पेड़ में चढ़ गया। दो खूंखार जानवरों से घिरा कैलाश बुरी तरह घबरा गया था। उसके पास मोबाइल था, इसलिए हिम्मत करके उसने पेड़ के ऊपर से ही घर के लोगों को घटना से अवगत कराया और कहा कि जल्दी आकर मेरी जान बचाओ।
लाठियां व कुल्हाड़ी लेकर परिजन व ग्रामीण पहुंचे जंगल
दिल दहला देने वाली इस घटना की जानकारी मिलते ही कैलाश का बड़ा भाई साहब पटेल व गांव के कई अन्य लोग लाठियां व कुल्हाड़ी लेकर तुरंत इसी रास्ते से जंगल की तरफ रवाना हुए जिस रास्ते से दोनों गए थे। शाम हो चुकी थी इसलिए सभी किसी अनहोनी की आशंका से डरे और सहमे हुए थे। आवाज लगाने पर भी जब कोई प्रति उत्तर नहीं मिला, तो घबराहट और बढ़ने लगी। तकरीबन दो दर्जन लोग जंगल का चप्पा चप्पा छान रहे थे, तभी रास्ते के पास नाले में कैलाश बेहोशी हालत में पड़ा मिला। अंधेरा होते देख कैलाश किसी तरह भालू को चकमा देकर गांव की तरफ भागा था, लेकिन वह इतना डरा व घबराया हुआ था कि भागते-भागते गिर गया और बेहोश हो गया। बेहोशी की हालत में ही गांव के लोग उसे घर लाए। युवक के चेहरे में पानी का जब छीटा मारा गया तो उसे होश आया। भय से कांपते हुए वह चिल्लाने लगा कि मुझे बचाओ नहीं तो बाघिन खा जाएगी। यह हालत देख परिजन उसे रात्रि में ही जिला अस्पताल पन्ना ले गए, जहां वह तीन दिन भर्ती रहा। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद भी कैलाश के मन से दहशत नहीं गई। वह अभी भी डरा-सहमा और गुमसुम रहता है।
आसपास के जंगलों में घूम रहे बाघ
बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहां 70 से अधिक बाघ हैं। टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र की धारण क्षमता 30-35 बाघों की है। ऐसी स्थिति में अतिरिक्त बाघ अपने लिए इलाके की खोज में कोर क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं, जो आसपास के जंगलों में विचरण करते हैं। पिछले दिनों एक बाघिन की मौजूदगी पहाड़ीखेरा के निकट जंगल में पाई गई है। इस बाघिन ने एक बैल का शिकार भी किया है। बाघों के अलावा जंगल का राजकुमार कहे जाने वाले तेंदुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पन्ना लैंडस्केप में 400 के लगभग तेंदुआ हैं, जो आबादी क्षेत्र के आसपास अक्सर देखे जाते हैं। ऐसी स्थिति में अब कोर क्षेत्र के बाहर बफर व टेरिटोरियल के जंगल में अकेले जाना सुरक्षित नहीं है।