BHOPAL. अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 में एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ था। वे पहले रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने। अमेरिका में दास प्रथा के अंत का श्रेय लिंकन को ही जाता है। उनकी मृत्यु 15 अप्रैल 1865 में हुई थी। हमलावर जॉन वाइक्स बूथ ने लिंकन को सिर पर पीछे से गोली मार दी थी। लिंकन की गेटिसबर्ग स्पीच को महान भाषणों में गिना जाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन (Government of the people, for the people and by the people) है। उनकी चार कहानियां...
1. चाय बेचते थे, एक बार महिला को चाय देने घर चले गए क्योंकि उसने ज्यादा पैसे दे दिए थे
अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का शुरुआती जीवन संघर्ष और तकलीफों से गुजरा। लेकिन उन्होंने ईमानदारी और परिश्रम से कभी समझौता नहीं किया। इसलिए इन संघर्षों ने उन्हें तपाया और खरा भी बनाया। मजबूरी के दिनों में उन्हें कुछ दिनों के लिए चाय की दुकान पर नौकरी भी करनी पड़ी। तब की एक घटना है। एक महिला उनकी दुकान पर चाय लेने आई। लिंकन ने महिला को जल्दी-जल्दी चाय दी और पैसे लेकर हिसाब अपने रजिस्टर में नोट कर लिया।
रात में जब उन्होंने चाय का हिसाब-किताब देखा तो पता चला कि उन्होंने भूलवश उस महिला को पैसे के हिसाब से कम चाय दी है। अपनी इस गलती से वह परेशान हो गए। पहले तो उन्होंने सोचा कि कल जब वह फिर आएगी तो उसे ज्यादा चाय देकर हिसाब पूरा कर लेंगे। फिर ख्याल आया कि अगर वह नहीं आई तो...। संभव है कि वह इधर कदम ही न रखे। इन्हीं विचारों की उधेड़बून में वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। वह अपराधबोध से बेचैन थे। वह सोचने लगे आखिर उन्होंने उसे सही मात्रा में चाय क्यों नहीं दी? उनकी बेचैनी बढ़ती गई, वह सो नहीं पा रहे थे। एकाएक वह उठे और उन्होंने तय किया कि इसी वक्त जाकर उस महिला को बाकी चाय देकर आएंगे। आखिर उसकी चीज है, उसने उसके पैसे पूरे दिए हैं।
संयोग से लिंकन उसका घर जानते थे। उन्होंने एक हाथ में चाय की केतली और दूसरे हाथ में लालटेन लेकर निकल पड़े। महिला का घर लिंकन के घर से तीन मील दूर था। उन्होंने उस महिला के घर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया। महिला ने दरवाजा खोला तो उन्होंने कहा, ‘क्षमा कीजिए, मैंने गलती से आपको कम चाय दे दी थी। यह लीजिए बाकी चाय।’ महिला आश्चर्य से उन्हें देखने लगी। फिर उसने कहा, ‘बेटा, तू आगे चलकर महान आदमी बनेगा।’ उसकी भविष्यवाणी सच निकली।
2. दुश्मन को दोस्त बना लूंगा
जब बहुत संघर्षों के बाद अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। ऐसा कहा जाता है कि वे 16 बार चुनाव हारे, लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव जीता। संघर्ष के दौरान उन्होंने लोगों के बदलते रूप देखे। राजनीति में जो कुछ होता है, उनके साथ भी हुआ। उनके ऊपर भी कीचड़ उछाला गया। उन्हें तरह-तरह से परेशान किया गया, लेकिन उनकी दृढ़ता के आगे विरोधियों ने हमेशा मुंह की खाई। अंततः अमेरिकी जनता ने उनके व्यक्तित्व को पहचान ही लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद अभिनंदन समारोह में उनका एक हितैषी उन्हें बधाई देते हुए बोला- देश की कमान हाथों में आने के बाद अब आप अपनी ताकत का उपयोग अपने विरोधियों को खत्म करने में क्यों नहीं करते? उनसे बदला लेने का इससे अच्छा मौका और क्या होगा?
लिंकन बोले- श्रीमान, आप यह जानकर खुश होंगे कि जैसा आप कह रहे हैं, मैं पहले से ही वैसा कर रहा हूं। मैं एक-एक करके अपने सभी विरोधियों को खत्म कर रहा हूं। हितैषी बोला- अच्छा, मजा आ गया। अब उन्हें पता चलेगा। लिंकन बोले- नहीं, नहीं, आप गलत न समझें। दरअसल मैं अपने सभी दुश्मनों के साथ शालीन एवं मित्रवत् व्यवहार करता हूं। वे मेरे इस सकारात्मक कदम से प्रभावित होकर मेरे मित्र बनते जा रहे हैं। इस तरह एक दिन वे सभी मेरे दोस्त बन जाएंगे। फिर मेरा कोई भी कोई शत्रु या विरोधी नहीं बचेगा। क्या यह तरीका ज्यादा बेहतर नहीं?
3. दो चेहरे
अब्राहम लिंकन पर एक बार किसी ने आरोप लगाया कि उनके दो चेहरे हैं। इस बात का कुछ मजाकिया जवाब देते हुए लिंकन ने कहा कि अगर मेरे पास दो चेहरे होते तो क्या मैं अपने इसी चेहरे को लिए घूमता।
4. आपका कोट मेरा हुआ
स्प्रिंगफील्ड में एक बार अब्राहम लिंकन कहीं जा रहे थे। तभी पीछे से एक व्यक्ति ने बहुत तेज गाड़ी चलाते हुए उन्हें ओवरटेक किया और जाने लगा। लिंकन ने उसे आवाज देकर रोका और कहा- क्या आप मेरी मदद करेंगे। उस व्यक्ति ने कहा- बताइए क्या काम है। लिंकन ने कहा कि क्या आप यह मेरा ओवर कोट शहर तक लेकर चलेंगे? उस अपरिचित ने कहा कि हां क्यों नहीं, बल्कि खुशी से। पर आप शहर पहुंचकर मुझसे यह कोट लेंगे किस तरह? बहुत आसान है लिंकन ने जवाब दिया। कोट के भीतर मैं भी तो रहूंगा।