Thiruvananthapuram. केरल के गांवों में सैकड़ों महलों जैसे मकान खाली पड़े हैं जिनमें न रहने वाला कोई है, न उन्हें खरीदने वाला कोई। इन मकानों को यहां से विदेशों में काम के लिए जाने वाले NRI ने बनवाया था जो अब देश लौट नहीं रहे हैं। कई के माता-पिता की मौत हो गई और कुछ के पैरेंट्स उनके साथ विदेश में रहने लगे तो मकानों में ताले लटके हैं। कोयट्टम जिले के काईपुझा गांव में NRI के महलों जैसे आलीशान 100 घर हैं जो बहुत लंबे समय से बंद हैं। इस गांव में किसी अच्छे शहर जैसी सभी सुविधाएं हैं, इसका कारण यहां NRI द्वारा किया गया इन्वेस्टमेंट है।
1950 से शुरु हुआ पलायन
जिले के लोगों ने 1950 के दशक में यहां से पलायन शुरू कर दिया था, इसके बाद केरल के दूसरे हिस्सों से भी लोगों का पलायन दूसरे देशों के लिए शुरू हुआ। पूरे केरल को देखें तो हर हिस्से में ऐसे बड़े-बड़े घर खाली पड़े हैं। इन घरों में कभी कभार ही लोगों का आना जाना होता है।
केरल में 11 फीसदी मकान खाली
इन मकानों को पहली पीढ़ी के NRI ने बनवाया था जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद भारत में सेटेल होने का प्लान बनाया था। हालांकि उनके बच्चे देश में वापस नहीं आए। कुछ मामलों में बच्चों ने माता-पिता को घर बनाने के लिए विदेशों से पैसा भेजा। पैरेंट्स की मृत्यु के बाद मकान बच्चों को लिए डेडे प्रॉपर्टी हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि NRI के पेरेंट्स की मृत्यु के बाद यह मकान खाली ही पड़े रहते हैं।
हर घर का एक आदमी विदेश में कर रहा काम
केरल के करीब 12 लाख घर खाली पड़े हैं। इनमें से आधे खाली मकान ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। यह आंकड़ा साल 2011 की जनगणना का है। नई जनगणना में यह आंकड़ा काफी बढ़ सकता है। राज्य की स्थानीय निकायों और पंचायतों के आंकड़ों के अनुसार कई जगहों पर तो 20 फीसदी तक मकान खाली पड़े हैं। इसका कारण हर घर से एक व्यक्ति का देश के बाहर जॉब के लिए जाना बताया जा रहा है।
किराए के फ्लैट में ठहरते हैं NRI
क्योंकि इन मकानों की मेंटेनेंस नहीं होता है तो यहां रहने वाले लोगों को भारत आने पर किराए के फ्लैट्स में रहना पड़ता है। दूसरी तरफ उनकी चिंता यह भी रहती है कि किराएदार कैसा मिलेगा। इतना ही नहीं प्रॉपर्टी खाली पड़ी रहने पर उसका मिसयूज होना का खतरा भी रहता है।
बिक नहीं रहे मकान
इन हवेलियों और महल जैसे मकानों को NRI बेचना तो चाहते हैं, लेकिन खरीदरों की कमी है। रीयल एस्टेट की साइट्स इस तरह के विज्ञापनों से भरी पड़ी हैं, लेकिन लोगों को रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। इसका कारण इन मकानों की कीमत बहुत ज्यादा होना है। ज्यादातर मकान 1 करोड़ से ज्यादा कीमत के हैं। कई NRI’s को तो मकान आधी ही कीमत में बेचना पड़ रहा है।
अपने देश में मकान बनवाना घाटे का सौदा
करोड़ों का खर्च कर बने मकानों से कोई रिटर्न नहीं मिलने के बाद NRI का कहना है कि यहां मकान बनवाना घाटे का सौदा है। अच्छा किराएदार मिलता नहीं, मकान पर कब्जे का डर है। इतना ही नहीं मकान का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में होने का डर भी बना रहता है।