विंध्य और बुंदेलखंड में नहीं चलते 1 और 2 रुपए के सिक्के, जिम्मेदारों को खबर ही नहीं, लोगों को देने पड़ते हैं ज्यादा दाम

author-image
Rahul Kumar Singh
एडिट
New Update
विंध्य और बुंदेलखंड में नहीं चलते 1 और 2 रुपए के सिक्के, जिम्मेदारों को खबर ही नहीं, लोगों को देने पड़ते हैं ज्यादा दाम

Bhopal. भारत के अंदर ही भारतीय करेंसी नहीं चल रही है... सुनकर चौंक गए न...लेकिन यह सच है। मध्यप्रदेश में एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जहां इंडियन करेंसी के अंतर्गत आने वाले क्वाइन यानी सिक्के नहीं चलते हैं। रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से इन सिक्कों को बंद नहीं किया गया है, बल्कि इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने ही इन्हें चलन से बाहर कर दिया। ये इलाके हैं विंध्य और बुंदेलखंड...ताज्जूब की बात यह है कि जिम्मेदारों को इसकी खबर तक नहीं है। इसका असर यह हुआ कि चीजों की कीमतों में 2 से 3 रूपए तक उछाल आ गया।




द सूत्र ने 5 जिलों में की पड़ताल



1 और 2 रूपए के सिक्कों के चलन से बाहर होने पर क्या नुकसान हो रहा है, ये आखिर चलन से बाहर क्यों हुए यह जानने द सूत्र ने बुंदेलखंड के दो जिले दमोह और पन्ना के साथ—साथ विंध्य के अंतर्गत आने वाले 3 जिलों सतना, रीवा और सीधी में इसकी पड़ताल की, जो सच्चाई सामने आई उसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे।  यदि आप नगद भुगतान कर रहे हैं तो इन इलाकों में 7 या 8 रूपए वाली चीज के कीमत आपको 10 रूपए ही चुकाना होंगे, क्योंकि न तो आपसे कोई 1 या 2 रूपए के सिक्के लेगा और न ही कोई आपको ये सिक्के देगा। 




बड़े व्यापारी और बैंक का रवैया जिम्मेदार



मामले की सच्चाई जानने जब हमने अलग—अलग जिलों के लोगों से बात की तो पता चला कि बैंक और बड़े व्यापारी सिक्के नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण 5—6 सालों से 1 और 2 के सिक्के बंद हो गए हैं। सतना के मोहनलाल बताते हैं कि बैंकों ने सिक्के लेना बंद कर दिया, इसलिए आम आदमी ने भी सिक्के लेना बंद कर दिया है। सीधी के रामभोर गुप्ता ने कहा कि बड़ी दुकान वाले सिक्के नहीं लेते हैं। जब हमसे बड़ा व्यापारी सिक्का नहीं ले रहा है तो फिर हम क्यों लें। कुछ इस तरह ही रीवा और पन्ना के व्यापारियों की प्रतिक्रिया मिली। 




इस तरह सिक्के चलन से होते गए बाहर



विंध्य और बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में गरीबी अधिक है। जाहिर तौर पर रोजमर्रा की चीजों को खरीदने के लिए इन्होंने बड़े नोटो की जगह सिक्कों में लेनदेन अधिक किया। जब ये सिक्के बड़े व्यापारी के पास पहुंचे तो बड़ी मात्रा में उन्हें जमा करने के लिए बैंक पहुंच गए। बैंक में सिक्के गिनने की कोई मशीन नहीं होती मैनेजमेंट ने इसलिए बड़ी संख्या में सिक्के लेने से मना कर दिया। इसके बाद व्यापारी ने लोगों ये यह कहकर सिक्के लेने से मना कर दिया कि जब हमसे ही बैंक नहीं ले रही है तो हम आपसे क्यों लें। अमरपाटन के एसबीआई मैनेजर बृजलाल बरिहा के अनुसार एक और दो के क्वाइन मार्केट में ही चलाने के लिए है। यदि बैंक में आएगा तो हैंडलिंग इश्यू रहता है। 




इस तरह समझे कैसे बढ़ गई अघोषित महंगाई



विंध्य और बुंदेलखंड में यदि आप डिजिटल तरीके से पैसों का लेनदेन कर रहे हैं तब तो ठीक है, लेकिन यदि नहीं या सर्वर इश्यू के कारण आप डिजिटल पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं तो आपको यहां 2 से 3 रूपए तक अधिक दाम चुकानें होंगे। हमने पन्ना और रीवा में जाकर इसकी पड़ताल की तो पता चला 9 रूपए में मिलने वाले डिशवॉश के हमें 10 रूपए ही देने होंगे। ब्रिटेनिया के मिल्क बिकिस बिस्किट के 76 की जगह 80 रूपए देने होंगे। 7 रूपए के आइटम के लिए 10 रूपए देने होंगे। हालांकि सीधी व्यापारी संघ के अध्यक्ष लालचंद गुप्ता ने कहा कि ज्यादा मात्रा में सिक्के देंगे तो दुकानदार कहेगा ही कि कहां इतना बोझ ढोएं, इसलिए अगर ज्यादा सिक्के देंगे तो वो नहीं लेगा। यदि आप 5 या 10 रूपए तक इकट्ठे 1 या 2 रूपए के सिक्के देंगे तो व्यापारी नहीं लेगा।  




50 पैसे के सिक्के भी इसी तरह हो गए चलन से बाहर



आज यदि कोई आपको 1 रूपए की जगह 50 पैसे के दो सिक्के दे तो आपको हंसी आ जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरबीआई ने कभी 50 पैसे के सिक्कों को बंद किया ही नहीं। इस सिक्के को खुद ब खुद लोगों ने चलन से बाहर कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि यदि कोई चीज 14 रूपए 50 पैसे की है तो आपको इसके 15 रूपए ही चुकाने होंगे, मतलब 50 पैसे अतिरिक्त देने पड़ेंगे। आरबीआई की मार्च 2021 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 700 करोड़ रूपए 50 पैसे के सिक्के, 5 हजार करोड़ 1 रूपए के सिक्के और 6700 करोड़ रूपए 2 रूपए के सिक्के के रूप में है। आईआईएम इंदौर के इंटरनेशनल बिजनेस स्ट्रेटजी के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सल्वान ने कहा कि रूलर एरिया हो या छोटी—छोटी दुकानें हो... वहां क्वाइन की बहुत अधिक महत्ता है। वहां कोई चीज एक—एक रूपए, दो रूपए या 5 रूपए में मिल रही हो...ऐसे में यदि हम क्वाइन को बंद कर दें तो फिर वहां प्रॉब्लम आ जाती है। वहां इकॉनोमी डेव्लपमेंट में इश्यू आ जाता है।




कमीश्नर को नहीं मामले की जानकारी  



मैहर के पंकज चौरसिया कहते हैं कि 1 और 2 रूपए के कोई सिक्के नहीं लेता है। इस समस्या का समाधान होना चाहिए। वहीं रीवा के संभाग कमीश्नर अनिल सुचारी ने तो इस तरह की कोई समस्या की जानकारी होने से ही मना कर दिया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि यदि कोई शिकायत आती है तो हम उस पर कार्रवाई करेंगे। बता दें कि सिक्कों को बिना पर्याप्त कारण के स्वीकार नहीं करना और उनके संबंध में कमीशन लेना बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत किसी बैंक के खिलाफ शिकायत करने के लिए वैध आधार होता है। 




सिक्के लेने से कोई मना करे तो यहां करें शिकायत



26 जून 2019 को आरबीआई ने एक लेटर जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि अभी कौन कौन से सिक्के चलन में हैं। इनमें 50 पैसे से लेकर 1 और 2 रूपए के सिक्के भी शामिल है। यदि इन सिक्कों को बैंक नहीं लेती है तो इसकी शिकायत संबंधित बैंक शाखा में की जा सकती है। उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं होने पर, शिकायत निवारण के लिए बैंकिंग लोकपाल को शिकायत दर्ज की जा सकती है। बैंकिंग लोकपाल योजना का विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in. पर उपलब्ध है । बैंकों के नोडल अधिकारियों के नाम तथा संपर्क विवरण उनकी संबन्धित आधिकारिक वेबसाइट में उपलब्ध हैं ।


RBI did not stop coins where coins do not run in Madhya Pradesh importance of coins in Indian currency why 1 and 2 rupee coins were closed आरबीआई ने बंद नहीं किए सिक्के मध्यप्रदेश में कहां नहीं चलते सिक्के भारतीय मुद्रा में सिक्कों का महत्व 1 और 2 रूपए के सिक्के क्यों हुए बंद