भारतीय सेना का सबसे बड़ा सम्मान परमवीर चक्र है। वॉर के समय जो सैनिक बहादुरी और शौर्य का परिचय देते हैं, उनकों परमवीर चक्र से नवाजा जाता है। अभी तक भारत में 21 वीर योद्धाओं को परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) से नवाजा गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि परमवीर चक्र को किसने डिजाइन किया था? आपको ये सुनकर आश्चर्य होगा कि भारतीय सेना के सर्वोच्चय सैन्य सम्मान (परमवीर चक्र) का डिजाइन एक विदेशी महिला ने तैयार किया था।
शादी के बाद नाम बदला
परमवीर चक्र का डिजाइन साल 1913 में स्विट्जरलैंड में जन्मी इवा योन्ने मैडे डीमारोस (Eve Yvonne Maday de Maros) नाम की महिला ने तैयार किया था। इवा छोटी सी उम्र में भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से परिचित थीं। धीरे-धीरे उनकी रुचि भारत में बढ़ने लगी। जब वह बड़ी हुईं तो उनकी मुलाकात महाराष्ट्र के विक्रम खानोलकर से हुई, जो सेना में अधिकारी थे। वे ब्रिटेन के नेशनल मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे थे। इसके बाद इवा और विक्रम के बीच प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद 1932 में इवा ने अपना नाम बदलकर सावित्री बाई कर लिया और महाराष्ट्र में रहने लगीं।
देश में जब आजादी का माहौल था। ब्रिटिशों से जो कुछ भी विरासत में मिला उसे हटाकर देश में जो कुछ हो रहा है उसके इस्तेमाल पर ध्यान दिया जाए। एड्जुटेंट जनरल हीरा लाल अटल को ब्रिटिश विक्टोरिया क्रॉस की जगह, उसके ही जैसा भारतीय मेडल बनाने का काम सौंपा गया। तब हीरा लाल अटल के मन में जो पहला नाम आया वो था सावित्रीबाई। उन्हें देश के बारे में गहरी जानकारी थी।
परमवीर चक्र की डिजाइनिंग
भारतीय सेना के सबसे बड़े वीरता पदक को डिजाइन करने की प्रक्रिया शुरू हुई। ये डिजाइन उन सैनिकों की शक्ति और बलिदान के प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करती है जिन्होंने देश व देशवासियों की सुरक्षा के लिए आपनी जान न्यौछावर कर दी।
परमवीर चक्र को बैंगनी रंग की रिबन की पट्टी (32 mm) और एक पीतल की धातु के गोल आकार से डिजाइन किया गया। इसके चारों तरफ वज्र के चार चिह्न बनाए गए हैं और पदक के बीचों-बीच अशोक चिह्न बना हुआ है। परमवीर चक्र के दूसरी ओर कमल का चिह्न भी है, जिसमें हिंदी और अंग्रेजी में ‘परमवीर चक्र’ लिखा है। इसकी ऊपरी सतह पर संक्षिप्त नाम पीवीसी (PVC) लिखा गया है।
शिवाजी महाराज को ध्यान में रखकर बनाया मेडल
सावित्रीबाई खानोलकर के मुताबिक, महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के अलावा कोई भी योद्धा इस मेडल का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। शिवाजी महाराज आज भी अपनी शक्ति और सामरिक रक्षा नीति के लिए याद किए जाते हैं। शक्तिशाली शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की ढाल में वज्र के साथ तलवार हुआ करती थी, जिसे भवानी कहा जाता था।
पहला परमवीर चक्र सम्मान 1950 में मनाए गए देश के पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया था। पहली बार ये सम्मान, सावित्रीबाई खानोलकर के दामाद के भाई मेजर सोमनाथ शर्मा को दिया गया।