राजा भोज ने बनाया शिक्षा का मंदिर, खिलजी ने बनाई मस्जिद, कैसे गहराया विवाद; जानिए क्या है भोजशाला का इतिहास

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राजा भोज ने बनाया शिक्षा का मंदिर, खिलजी ने बनाई मस्जिद, कैसे गहराया विवाद; जानिए क्या है भोजशाला का इतिहास

BHOPAL. साल 2003 मध्यप्रदेश की राजनीति में एक अहम स्थान रखता है, 10 साल की दिग्विजय सिंह सरकार को इसी साल जनता ने बदल दिया था। इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण थी धार की भोजशाला। बीजेपी की फायरब्रांड और सबसे बड़ी हिंदूवादी नेता उमा भारती ने पूरे मध्य प्रदेश में भोजशाला को प्रसिद्ध कर दिया था, उमा के हर भाषण में भोजशाला का जिक्र होता था, आलम यह था कि 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में धार से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे करण सिंह पंवार करीब 30 हजार के रिकॉर्ड अंतर से चुनाव हारे थे। बीजेपी को इस चुनाव में सबसे ज्यादा 173 सीटें हासिल हुई थी और कांग्रेस मात्र 38 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। इसके बाद से लेकर 2018 तक मध्य प्रदेश में बीजेपी ने एकतरफा राज किया, उमा सिंहासन से उतरीं तो बाबूलाल गौर ने गद्दी संभाली, गौर साहब के बाद शिवराज काबिज हुए, लेकिन भोजशाला का मसला जस का तस बना रहा। आपको बताते हैं कि क्या है भोजशाला और उससे जुड़ा पूरा मामला, कैसे और कब बनी थी भोजशाला, खिलजी ने कैसे बदला इसका स्वरुप, किन बातों पर हुआ विवाद, वर्तमान में क्या है हिंदूपक्ष की मांग और किस तरह के कार्यक्रमों का होता है आयोजन पढ़िए ये विशेष रिपोर्ट...



जानिए क्या है भोजशाला का इतिहास




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राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला, यहां होता था शिक्षण कार्य




राजा भोज जो कि खुद 72 कलाओं और 36 तरह के आयुध विज्ञान के ज्ञाता थे ने खुद मध्यप्रदेश के धार जिले में साल 1034 में माता वाग्देवी (सरस्वती मां) का मंदिर बनवाया था, जो सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। बाताया जाता है कि राजाभोज ने यहां शिक्षण कार्य हो सके इसकी भी व्यापक व्यवस्था की थी, यह स्थान तब के समय में नालंदा और तक्षशिला जैसे आवासीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रुप में विख्यात था। बताया जाता है कि इसी भोजशाला में माघ, बाणभट्ट, कलिदास और भवभूति भास्कर भट्ट जैसे विद्वान शिक्षण कार्य किया करते थे। इस भवन के बीचों-बीच में एक यज्ञकुंड है। बताया जाता है कि सन 1035 में इसी यज्ञकुंड में हवन-पूजन कर प्रांगण में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई थी। वर्तमान में इस प्रतिमा के लंदन के म्यूजियम में होने की बात कही जाती है। बताया जाता है कि अंग्रेजों के समय सरस्वती मां की प्रतिमा को एक बक्से में रखकर लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट पर रखा गया है।



खिलजी आक्रमण के बाद बदली कहानी




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वसंत पंचमी पर भोजशाला में चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते पुलिसकर्मी




बताया जाता है कि साल 1269 में अरब मूल के रहने वाले कमाल मौलाना धार आए और यहीं बस गए, इसके 36 साल बाद साल 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा पर आक्रमण किया। इस आक्रमण का परमार वंश माकूल जवाब न दे सका और मालवा  पर खिलजी राजवंश की स्थापना हो गई। इसके बाद खिलजी ने तमाम हिंदू मंदिरों, शैक्षणिक संस्थानों और पूजा स्थलों को एक एक कर बर्बाद करना शुरु कर दिया। सन 1401 में दिलावर खां गौरी ने मालवा पर अपना शासन जमाया और विजय मंदिर को नष्ट कर दिया। इसके बाद 1514 में मेहमूद खिलजी द्वितीय ने पहली बार भोजशाला को मस्जिद में बदलने की कोशिश की। खिलजी ने ही कमाल मौलान की याद में भोजशाला के बाहर एक मजार उसकी मौत के करीब 200 साल बाद बनवाई, जबकि कहा जाता है कि कमाल मौलाना की मौत धार में नहीं अहमदाबाद में साल 1310 में हुई थी।



दिग्विजय सिंह के आदेश से हिंदू हुए नाराज




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दिग्विजय सिंह के फैसले से नाराज हो गया था हिंदू समाज




इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी छुटपुट विवादों के बीच भोजशाला को लेकर संघर्ष चलता रहा, इसमें सबसे बड़ा उबाल आया साल 1997 में, जब दिन था 12 मई और प्रदेश के सीएम थे दिग्विजय सिंह। सिंह ने आदेश जारी कर भोजशाला में हिंदुओं के प्रवेश पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया, इस आदेश में कहा लिखा गया कि हिंदू समाज के लिए साल में केवल एक दिन वसंत पंचमी पर सशर्त प्रवेश और पूजन की परमिशन है, और मुस्लिम समाज को पूरे साल नामज पढ़ने की इजाजत दी गई थी, सरकार के इस फैसले ने आग में घी का काम किया और दबी हुई हिंदू भावनाओं का भड़काने में अहम रोल निभाया। इसी के बाद भोजशाला मूवमेंट जंगल में लगी आग की तरह फैलने लगा। हालात यह हो गए कि दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ न केवल धार की जनता बल्कि मालवा के साथ-साथ पूरे प्रदेश के लोगों ने भी नाराजगी जताई। सरकार के इस पक्षपातपूर्ण फैसले के खिलाफ धार सहित मालवा का हिंदू समाज सड़कों पर उतर आया, और हर मंगलवार भोजशाला के सामने सड़क बैठकर सत्याग्रह शुरु हो गया। साल 2000 में हिंदू जागरण मंच ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया और एक बड़ा हिंदू जन जागरण अभियान खड़ा कर दिया।



जब भीड़ पर पुलिस ने दागी गोलियां




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पुलिस फायरिंग में मारे गए थे 3 लोग




साल 2003 तारीख थी 6 फरवरी, इस दिन धार में एक धर्म सभा का आयोजन किया गया, इस सभा में करीब डेढ़ लाख लोग शामिल हुए और प्रशासन को चेतावनी दी गई कि अगर दो हफ्ते में भोजशाला को सभी प्रतिबंधों से मुक्त नहीं किया गया तो आने वाले समय में हिंदू समाज खुद भोजशाला को बंधनों से मुक्त कर देगा। 18 फरवरी को बड़ा जनसैलाब पूजन के लिए भोजशाला की तरफ बढ़ने लगा जिसे रोकने के लिए पुलिस ने लाठी और गोलियां तक चलाई। इस विवाद में पुलिस की गोली से तीन हिंदू मारे गए और करीब एक हजार से ज्यादा लोगों पर कड़ी कार्रवाई की गई। इसके बाद से भोजशाला और धार का नाम अतिसंवेदनशील स्थान के नाम पर दर्ज हो गया। अप्रैल 2003 में भोजशाला के ताले हिंदुओं के लिए खुल गए और उन्हें सशर्त पूजन और दर्शन का अधिकार मिल गया।



धार में भड़की थी सांप्रदायिक हिंसा




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धार के आस-पास के इलाकों में भी भड़क गई थी हिंसा




भोजशाला को लेकर उपजा पूरा विवाद न केवल धार तक सीमित रहा बल्कि पूरा मध्य प्रदेश इसकी जद में आ गया। धार की सड़कों पर नारे गूंजने लगे 'लाठी-गोली खाएंगे भोजशाला जाएंगे' 'हम दिन चार रहे न रहे मां तेरा वैभव अमर रहे' जैसे नारों में हिंदू धर्म के लोगों को भोजशाला से जोड़ने में अहम किरदार निभाया, गांव-गांव में हिंदू समाज एकजुट होने लगा और भोजशाला को लेकर आसपास के गांवों तक में भी माहौल गर्माने लगा। साल 2003 में कई धार जिले के कई गांवों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई बड़े कस्बे जैसे दिग्ठान, बगड़ी, नालछा और धार शहर में हालात बेकाबू होने लगे, कई लोगों पर मुकदमें दर्ज हुए, कई लोग रासुका के तहत जेल भेजे गए, जेलों में बंद हिंदू समाज के लोगों के लिए इतनी मुलाकातें और खाने का सामान आने लगा कि प्रशासन भी देखकर दंग रह गया।



बीजेपी शासन की नींव में 'एमपी की अयोध्या'



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इस साल चुनाव होना थे, बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के सामने उमा भारती को मैदान में बतौर कप्तान उतारा था। उमा ने भोजशाला के मुद्दे हर जगह हर सभा में जनता के समाने मंच से रखना शुरु कर दिया। इसी दौरान का एक किस्सा बड़ा मशहूर है कि भोजशाला जहां स्थित है उस धार सीट से चुनाव में बीजेपी के टिकट पर कौन मैदान में उतरेगा, तब हिंदू युवकों पर ढूंढकर मुकदमें लादे जा रहे थे, घर से उठा-उठाकर उन्हें जेलों में ठूंसा जा रहा था। इन मुकदमों में हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे थे, जसवंत सिंह राठौर, कहा जाता है कि उस समय बीजेपी के शीर्ष पर बैठे आडवाणी जी ने कहा था कि जो हिंदुत्व का सबसे चर्चित चेहरा होगा वो बीजेपी का चेहरा होगा। और जसवंत सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरे। कांग्रेस ने सीटिंग एमएलए करण सिंह पंवार का ही टिकट बरकरार रखा, लेकिन करण सिंह इस चुनाव में ऐसे हारे की इसके बाद कभी चुनावी राजनीति का रुख नहीं कर सके। करण सिंह पंवार इस चुनाव में करीब 28 हजार से ज्यादा मतों से हारने का रिकॉर्ड कायम कर चुके थे। तो वहीं उमा भारती ने इस चुनाव में दिग्विजय सिंह सरकार को मात्र 38 सीटों पर समेटकर रख दिया था। इसके बाद दिग्विजय सिंह 10 साल के लिए सक्रिय राजनीति से दूर हो गए, और कांग्रेस 15 साल के लिए सत्ता से दूर कर दी गई थी। राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा कि मध् प्रदेश की सत्ता के शिखर तक जाने का रास्ता धार से होकर गुजरता है। देश में अयोध्या राम मंदिर के बाद धार की भोजशाला दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा थी और इसी के चलते धार की पहचान भी मध्यप्रदेश की अयोध्या के रूप में हो गई।



जब राजनीतिक मदद नहीं मिली तो हाईकोर्ट गया हिंदू पक्ष




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हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दाखिल की याचिका




इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक उथल पुथल चलती रही, उमा के बाद बाबूलाल गौर और शिवराज ने सत्ता संभाली, लेकिन भोजशाला का मामला कभी सुलझ नहीं सका। बीजेपी के तमाम बड़े नेता आडवाणी, उमा भारती, सुब्रह्मण्यम स्वामी, शिवराज सिंह, उषा ठाकुर समेत कई नेताओं ने लंदन से मां सरस्वती की मूर्ति लाने का जिक्र किया लेकिन मां सरस्वती की मूर्ति आ नहीं सकी, कभी कानूनी अड़चनों का हवाला दिया गया तो कभी वादों को भूला दिया गया। लेकिन इन सबके बीच हिंदू पक्ष की तरफ से  इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर के माध्यम से लगाई है। इसमें हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस संस्था की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री सहित अन्य सदस्यों ने सामूहिक रूप से मुख्य पांच बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए 2 मई 2022 को ए‍डमिट की थी। 11 मई 2022 को याचिका पर सबसे पहले सुनवाई शुरू हुई। इंदौर हाईकोर्ट डबल बैंच में यह प्रकरण चल रहा है। हाईकोर्ट ने मौलाना कमालुद्दीन सोसाइटी, धार पुलिस व जिला प्रशासन, प्रमुख सचिव गृह के माध्यम से मध्यप्रदेश गृह विभाग, पुरातत्व अधिकारी मांडू, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधीक्षक भोपाल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली, मुख्य सचिव संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली व श्री महाराज भोज समिति को नोटिस जारी किया गया था। प्रकरण की सुनवाई शुरू हुए करीब 9 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष की ओर से नोटिस को लेकर जवाब नहीं आया है।



'भोजशाला पर हिंदू समाज का हो अधिकार'




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हिंदू संगठनों की मांग : भोजशाला पर हो हिंदू समाज का आधिपत्य




भोज उत्सव समिति संस्था से जुड़े हेमंत दौराया, अशोक जैन और आशीष गोयल ने बताया कि हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की तरफ से भोजशाला को लेकर याचिका कोर्ट में लगाई गई है, संस्था की प्रमुख मांगों यह है कि भोजशाला मंदिर पर हिंदू समाज का आधिपत्‍य हो। अवैध रूप से हो रही नमाज बंद हो। लंदन से मां वाग्देवी की मूर्ति लाई जाए। इसके साथ ही भोजशाला के पूरे परिसर की फोटो और वीडियोग्राफी करवाई जाए, और हिंदू समाज को पूरे साल पूजा-अर्चना का अधिकार मिले। इस प्रकरण को लेकर आगामी सुनवाई अब फरवरी में होगी। अभी तक बैंच के सामने 3 से 4 बार मामला आ चुका है, लेकिन नोटिस का जवाब नहीं आने के कारण तारीखें हमेशा आगे बढ़ गई है। भोज उत्सव समिति के हेमंत दौराया ने बताया कि मां वाग्देवी की मूर्ति वापस लाने के लिए समिति के माध्यम से सालों से संघर्ष किया जा रहा है। इसको लेकर शासन-प्रशासन के समक्ष सैकड़ों बार ज्ञापन भी सौंपा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सहित अन्य नेताओं को भी ज्ञापन दिए गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी जब झाबुआ और धार आए थे, तब भी मूर्ति वापस लाने की मांग को लेकर मोदी को ज्ञापन दिया गया था। अब तक कोई परिणाम नहीं निकलने से अब ज्ञापन और आवेदन देना बंदकर कानूनी राह अपनाई गई है।



साल 2006 में शुक्रवार को बंसत पंचमी आने पर हालात हुए तनावपूर्ण




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शुक्रवार और वसंत पंचमी साथ-साथ आने पर हालात हो जाते हैं तनावपूर्ण




2003 में भोजशाला के ताले खुलने के तीन साल बाद ही 2006 में पूजा और नमाज एक ही दिन करवाने की चुनौती थी। पुरातत्व विभाग से आदेश मिलने के बाद सरकार ने गेंद अफसरों के पाले में डाल दी। इसके बाद आईजी, 10 एसपी स्तर के अफसरों सहित भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। आयोजन के एक दिन पहले तक दोनों समुदाय से चर्चा कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जाती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली। हिंदू संगठनों ने संकल्प ज्योति यात्रा से जिलेभर के लोगों को बुलावा भेजा था। भोजशाला परिसर के बाहर धर्मरक्षक संगम में एक लाख लोगों के शामिल होने का दावा किया गया था। अफसरों ने लोगों को धार आने से रोकने के लिए जिलेभर के रास्ते रोक दिए थे। शहर से 20-30 किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया गया।



प्रशासन की कार्रवाई से भड़की जनभावना




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पुलिस की कार्रवाई से भड़के लोग




वसंत पंचमी के एक दिन पहले ही प्रशासन के इस कदम की खबर लोग तक पहुंची तो वे दोपहिया वाहनों पर धार की ओर बढ़े। रोका गया तो पूरी रात पैदल चलकर भोजशाला पहुंच गए। अफसरों ने देखा कि लोग बड़ी संख्या में शहर आ गए हैं तो परिसर में सादे कपड़ों में केसरिया दुपट्टे डालकर बाउंसरों को तैनात कर दिया गया। भोजशाला खाली करवाए जाने के निर्देश मिलते ही उन्होंने लोगों को बलपूर्वक बाहर कर दिया। परिसर के बाहर जब यह खबर फैली तो लोग भड़क गए। उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज करना पड़ा। इस कार्रवाई में 15 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बवाल के पहले कहा था कि हमारी सरकार सक्षम है और हम सामाजिक समरसता बनाए रखने में सफल रहेंगे, लेकिन स्थिति बिगड़ गई।



2013 में फिर मचा हंगामा, प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया के गले में डाल दिया था हरा गमछा




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लाठीचार्ज से भड़के हिंदू संगठनों ने प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया को सुनाई थी खरी-खोटी




फरवरी 2013 में वसंत पंचमी और शुक्रवार फिर एक बार साथ आए,अधिकारियों ने रणनीति में कोई फेरबदल नहीं किया। भारी पुलिस बल जमा करने के साथ ही फ्लैग मार्च आदि से यही संदेश देने का प्रयास किया गया कि हमारी तैयारी पूरी है, लेकिन आखिर स्थिति बिगड़ी और उसका गुस् तात्कालिक प्रभारी मंत् महेंद्र हार्डिया को झेलना पड़ा। तैयारियों में जुटे अफसरों ने सबसे कम फोकस बातचीत पर किया। दोनों ही समुदाय के पदाधिकारियों से जितनी बार भी बातचीत हुई, तीखे अंदाज में ही हुई। तय टकराव को देखते हुए भी प्रशासन ने उसे टालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। जो पुलिस अफसर पहले धार में पदस्थ थे उनकी ड्यूटी बाहरी इलाकों में लगाई गई जबकि बाहर से बुलाए गए अफसरों को भोजशाला परिसर और मुख्य द्वार पर तैनात किया गया। इससे जैसे ही स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने समझाने के प्रयास के बजाय लाठी चलाना शुरू कर दिया। भोजशाला परिसर में हिंदू संगठन के पदाधिकारियों और दर्शनार्थियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। आईजी, कमिश्नर की मौजूदगी में पिटाई की बात जब उन्होंने बाहर आकर बताई तो लोगों ने बैरिकेड तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया। उन्हें रोकने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा बार लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। 100 से अधिक लोग घायल हो गए। पिटाई से घायल लोगों को देखने जब तत्कालीन प्रभारी मंत्री महेंद्र हार्डिया जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्हें भी लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। गुस्साए लोगों ने अस्पताल में  हार्डिया को जमकर खरी खोटी सुनाई तो वहीं एक घायल ने तो उनके गले में हरा गमछा जबरदस्ती डाल दिया था। प्रभारी मंत्री ने आनन फानन में इस पुलिसिया बर्बरता को गलत बताते हुए अफसरों पर की ही गलती बता दी थी। इन सबके बाद भी आज भी भोजशाला का मामला वैसा ही है, आज भी बसंत पंचमी पर धार में कई आयोजन किए जाते हैं और पुलिस का पहरा भी वैसा ही बना रहता है।



26 जनवरी को वसंत पंचमी पर होंगे ये आयोजन




  • 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर सुबह 7 बजे मुख्य आयोजन की शुरुआत होगी। शोभायात्रा के साथ शाम 5 बजे आरती के साथ दिन का समापन होगा।


  • सुबह 7 बजे मां सरस्वती यज्ञ की शुरुआत होगी। 11 बजे उदाजीराव चौराहा लालबाग से मां वाग्देवी की शोभायात्रा निकलना प्रारंभ होगी।

  • दोपहर में अभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी धर्मसभा को संबोधित करेंगे।

  • धर्मसभा के बाद दोपहर करीब 1.30 बजे महाआरती होगी। सुबह से लेकर शाम तक वेदारम्भ संस्कार सरस्वती कंठाभरण मंदिर धार में होगा।

  • 27 जनवरी को दोपहर 3 बजे मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन रखा गया है, जिसमें पूजन, आरती एवं हवन-मातृशक्ति के द्वारा भोजशाला में होगा।

  • मुख्‍य अतिथि एवं वक्ता के रूप में संत सिया भारती शामिल होंगी। रात 8 बजे श्री बाबा खाटू श्यामजी का भव्य दरबार एवं भजन संध्या का आयोजन भी होगा।

  • 28 जनवरी को सत्याग्रह के बाद पूजन।

  • 28 जनवरी को दोपहर 1 बजे वाद-संवाद प्रतियोगिता का आयोजन व रात में 9 बजे अभा विराट कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया है। इसके साथ ही तीन दिवसीय आयोजन का समापन भी होगा।

  • 31 जनवरी मंगलवार को सुबह 8.55 बजे नियमित सत्याग्रह होने के बाद अखंड संकल्प ज्योति मंदिर में कन्या पूजन एवं कन्या भोजन का आयोजन भी समिति के माध्यम से रखा गया है।



  • सुरक्षा के लिए मौजूद रहेगा इतना बल




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    धार के चप्पे-चप्पे पर भारी पुलिस बल तैनात




    धार में सुरक्षा की नजर से भारी पुलिस बल मौजूद रहेगा इसमें 32वीं वाहिनी उज्जैन, 24वीं वाहिनी जावरा, 15वीं वाहिनी इंदौर, पीआरटीएस इंदौर, झाबुआ जिला, अलीराजपुर जिलों से कुल 550 पुलिसकर्मियों का बल धार को मिला है, जो संभवत 25 जनवरी को धार आ जाएगा। इसके साथ ही धार एडिशनल एसपी, उप सेनानी 34वीं वाहिनी, पुलिस अधीक्षक पीआरटीएस इंदौर भी मुख्य अधिकारियों के रूप में तैनात रहेंगे। वहीं 4 डीएसपी इंदौर सहित एसडीओपी व सीएसपी भी अलग-अलग स्थानों पर डयूटी करेंगे।



    ( धार से अक्षय बारिया का इनपुट )

     


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