आइए जानते हैं: आखिर क्यों लाल बहादुर शास्त्री ने अपने बेटे से जताई थी आपत्ति

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आइए जानते हैं: आखिर क्यों लाल बहादुर शास्त्री ने अपने बेटे से जताई थी आपत्ति

यह बात है उस समय की जब दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में बीए एडमिशन के लिए इंटरव्यू चल रहे थे। छात्रों के एडमिशन की जिम्मेदारी एडमिशन कमेटी के अध्यक्ष रॉबर्ट के हाथ में थी। वह एडमिशन के लिए आए छात्रों से कुछ सवाल पूछते और अगर छात्र पूछे गए सवालों का सही जवाब दे देते तो उन्हें एडमिशन मिल जाता। लेकिन इसी बीच वे एक छात्र के आवेदन पत्र पर घर का पता देख चौंक गए। आवेदन पर घर का पता लिखा था – प्रधानमंत्री आवास, नई दिल्ली। एडमिशन कमेटी के अध्यक्ष रॉबर्ट ने छात्र से पूछा कि क्या आप प्रधानमंत्री आवास में रहते हैं?’ छात्र ने बड़ी ही विनम्रता के साथ उत्तर दिया जी सर यह मेरे ही घर का पता है। मैं प्रधानमंत्री के घर में रहता हूं और मै प्रधानमंत्री का पुत्र हूं। जैसे ही अध्यक्ष महोदय को यह बात पता चली कि यह छात्र प्रधानमंत्री का बेटा है उसने तुरंत ही उनका एडमिशन पक्का कर दिया।

बेटे के एडमिशन से नाखुश हुए पिता

शाम को खाना खाते समय छात्र ने एडमिशन के बारे में अपने माता-पिता को बताया और एडमिशन कमेटी के अध्यक्ष रॉबर्ट की तारीफ करने लगे। पुत्र ने जब पिता की ओर देखा तो उनके पिता के चेहरे पर खुशी नहीं दिख रही थी। पुत्र यह समझ गया कि उनके पिता को यह बात अच्छी नहीं लगीं। पिता बोले ये खुशी की बात है कि तुम एक सामान्य विद्यार्थी की तरह इंटरव्यू में गए। लेकिन घर के पते के कारण उन लोगों ने तुम्हारे साथ जो वीआईपी व्यवहार किया वह सही नहीं था। यह सुनकर पुत्र भौचक्का रह गया उसने पूछा कि ‘बाबूजी मुझसे कोई गलती हो गई क्या?

पुत्र को दी जीवन की सीख

पिता ने कहा तुम्हें जो वीआईपी ट्रीटमेंट आज कॉलेज में मिला उसका कारण मेरा प्रधानमंत्री का पद है। वास्तव में इस ट्रीटमेंट के तुम हकदार नहीं हो। न ये घर मेरा है, न ये पद। यह तो देश के लोगों का है, जिन्होंने थोड़े वक्त के लिए मुझे ये पद सौंपा है। जब मै प्रधानमंत्री नही रहूंगा तो तुम्हें यह सम्मान नहीं मिलेगा तो जिससे तुम्हे निराशा मिलेगी। सम्मान कभी भी दूसरे के जरिए नहीं पाया जाता है। इस पूरी घटना में पिता के रूप में कोई और नहीं बल्कि लाल बहादुर शास्त्री थे और पुत्र थे अनिल शास्त्री।

आखिर क्यों लाल बहादुर शास्त्री ने अपने बेटे से जताई थी आपत्ति