ट्री वुड को रिप्लेस करेगा बेम्बू कम्पोजिट, फर्नीचर और स्ट्रक्चर बनाने में होगा इस्तेमाल, क्वालिटी हाई और प्राइज भी 20 फीसदी कम

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Rahul Sharma
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ट्री वुड को रिप्लेस करेगा बेम्बू कम्पोजिट, फर्नीचर और स्ट्रक्चर बनाने में होगा इस्तेमाल, क्वालिटी हाई और प्राइज भी 20 फीसदी कम

BHOPAL. देश में आने वाले समय में आप एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड, रेस्टोरेंट और घरों में एक बड़ा बदलाव देखने वाले हैं और यह बदलाव लकड़ी से बने वुड में देखने को मिलेगा। अब तक आप सार्वजनिक स्थानों पर जो भी फर्नीचर या स्ट्रक्चर लकड़ी से बने देख रहे हैं, वह आने वाले समय में बेम्बू कम्पोजिट या सामान्य शब्दों में कहे तो बांस से बने वुड के देखेंगे। इसके लिए देश में पहली बार एम्प्री यानी एडवांस मटेरियलस एंड प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल ने टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है। इसकी खास बात यह है कि इसकी क्वालिटी ट्री वुड से ज्यादा अच्छी है और यह प्राइज यानी कीमत में भी ट्री वुड की अपेक्षा 15 से 20 फीसदी कम है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के मौके पर आज हम बात करेंगे, इसी टेक्नोलॉजी की और बताएंगे कि कैसे आने वाले दिनों में यह आपके और हमारे जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली है।



बांस की 7—8 वेरायटी से तैयार होता है कम्पोजिट



एम्प्री के डायरेक्टर डॉ. अविनाश श्रीवास्तव बताते हैं कि देश में बांस की 136 वेरायटी मौजूद है। इनमें से 7—8 वेरायटी के बांस से हमारी टेक्नोलॉजी की मदद से एक कम्पोजिट तैयार किया जाता है जो ट्री यानी पेड़ से बने वुड को सीधे—सीधे रिप्लेस करता है। इसके लाइसेंस को मेसर्स परमाली वायरलेस को ट्रांसफर किया गया है। कई और इंस्डस्ट्रीज ने इसकी टेक्नोलॉजी को लेने में रूचि दिखाई है, जिससे अभी हमारी बात चल रही है। 



पेड़ भी बचेंगे और कार्बन डाइआक्साइड भी ज्यादा एब्जोर्व होगी



एक पेड़ को बनने में 30 से 40 साल लगते हैं, लेकिन फर्नीचर और स्ट्रक्चर के लिए इनकी बेतहाशा कटाई होती है, जो पर्यावरण के लिहाज से बेहद चिंताजनक स्थिति है। वहीं एक बांस को बनने में सिर्फ 4 से 5 साल ही लगते हैं। पेड़ों के मुकाबले बांस ज्यादा कार्बन डाइआक्साइड भी ज्यादा एब्जोर्व करते हैं। बांस को भारत सरकार ने ग्रास केटेगिरी में कर दिया है। मतलब आप इसे कहीं भी लगा सकते हैं और इसको काटने के लिए किसी विभाग से कोई परमीशन भी नहीं लेनी होगी। मतलब इस टेक्नोलॉजी से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। 



रोजगार के अवसर भी खुलेंगे



एम्प्री के डायरेक्टर डॉ. अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि बांस उगाने से लेकर उसका कम्पोजिट तैयार करने और फिर फर्नीचर या स्ट्रक्चर बनाने तक इसमें बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ती है। इससे रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। खास बात यह है कि इस पूरे काम में 90 प्रतिशत ऐसे लोगों की जरूरत होती है, जिसके लिए ज्यादा पढ़े लिखे होने की भी आवश्यकता नहीं है। डॉ. अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि बेम्बू वुड से एम्प्री भोपाल और सीएसआर लैब जोरहट में कमेटी रूम बन चुके हैं। 



आपके हमारे जीवन पर क्या पड़ेगा असर



पर्यावरण संरक्षण के कारण हमें सांस लेने के लिए साफ और स्वच्छ हवा मिलेगी। रोजगार के अवसर भी मिलेगे। ये तो वो लाभ है जिनके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं। अब आप और हम जब इसका उपयोग अपने घर या अपने आफिस या दुकान में करेंगे तो हम आपको बता दें कि इसमें दीमक नहीं लगती है। यह वॉटर प्रूफ भी है और यदि किसी कारण से इसमें आग लग जाए तो यह लकड़ी की तरह फैलती नहीं है। अभी इसकी प्राइज ट्री वुड के मुकाबले 15 से 20 प्रतिशत कम है, लेकिन जैसे—जैसे इसकी डिमांड बढ़ेगी इसकी प्राइज ट्री वुड की तुलना में 50 प्रतिशत तक कम हो सकती है। मार्केट में जैसे—जैसे इंडस्ट्रीज इस टेक्नोलॉजी को अपनाने लगेगी, आप और हम इसका लाभ लेने लगेंगे।     



वीडियो देखें- 




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