पुडुचेरी में 331 साल पहले फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने बनवाया था चर्च, 100 साल में 4 बार निर्माण, इस भाषा में होती है प्रेयर

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Dr. RAKESH PATHAK
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पुडुचेरी में 331 साल पहले फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने बनवाया था चर्च, 100 साल में 4 बार निर्माण, इस भाषा में होती है प्रेयर

BHOPAL. आज यानी 25 दिसंबर को प्रभु परमेश्वर के पुत्र यीशु का जन्मदिन है। “..क्योंकि आज के दिन दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है, जो प्रभु मसीह है ( लूका 1:11 बाइबल)।” आइए आज आपको देश के प्राचीन गिरिजाघरों में से एक ‘अवर लेडी ऑफ इमेक्यूलेट कंसेप्शन कैथेड्रल’ के बारे में बताते हैं।



फ्रांसीसी सम्राट ने भारत में बनवाया चर्च



पुडुचेरी (Pondicherry) के व्हाइट टाउन की मिशन स्ट्रीट पर इस चर्च का निर्माण सत्रहवीं सदी के आखिर में हुआ था। तब यहां फ्रांस का शासन था। फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें ने इसे बनाने के लिए आर्थिक सहायता की थी। 1691 में बना यह चर्च अगले साल यानी 1692 पुर्तगालियों के हमले में ध्वस्त हो गया। दूसरी बार बना चर्च भी ज्यादा समय बना नहीं रह सका, तब इसका तीसरी बार निर्माण हुआ। 1728 से 1736 के समय में एक बार फिर भव्य चर्च बन एक तैयार हुआ, लेकिन बाद में यह भी फ्रांस-इंग्लैंड के बीच हुए लंबे युद्ध की चपेट में आकर नष्ट हो गया। 1771 में चौथी बार इसका निर्माण शुरू हुआ, जो 1791 में खत्म हुआ। इस चर्च का बाहरी रूप पुर्तगाली स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है। यह चर्च आज भी शान से खड़ा है।






पेरिस के चर्च की तर्ज पर बनवाया गया था



पुदुचेरी का यह चर्च अंतिम तौर पर पेरिस के प्रसिद्ध Church of Val De Grace के मॉडल पर तैयार हुआ। पेरिस स्थित चर्च अब मिलिट्री हॉस्पिटल के प्रार्थनाघर के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में पुडुचेरी चर्च में तमिल और अंग्रेजी भाषा में पूजा अर्चना होती है। भारत में ईसाई धर्म का प्रवेश 52 ईसवी में हुआ, तब यीशु मसीह के बारह शिष्यों में से एक सेंट थॉमस केरल के तट पर पहुंचे थे।



थामस ने लोगों को ईसाई धर्म में प्रवृत्त किया। बाद में वे धर्म प्रचार के लिए चीन चले गए। लौटकर आए और चेन्नई में बस गए। यहां एक गुफा में कुछ लोगों ने उनकी हत्या कर दी। उनकी मृत्यु के स्थान पर बाद में पुर्तगालियों ने एक गिरिजाघर बनवा दिया।



देश के प्राचीनतम गिरिजाघर



भारत का सबसे पुराना चर्च में गोवा का ‘बेसिलिका ऑफ बोम जीसस’ माना जाता है। यहां सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेष (पार्थिव देह की ममी) अब भी रखे हैं। वहीं, 

केरल में कोच्चि स्थित सेंट फ्रांसिस चर्च भारत में यूरोपीय शैली का पहला चर्च माना जाता है। इस चर्च में पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा का शव भी कुछ समय के लिए दफनाया गया था। बाद में उसका शव ले जाकर लिस्बन (पुर्तगाल) में दफनाया गया।


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