शिवाशीष तिवारी, BHOPAL. देश की सबसे पुरानी पार्टी की सबसे लंबे समय तक (2000-22) अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी आज यानी 9 दिसंबर को 76 साल की हो गईं। उनका जन्म 9 दिसंबर 1946 में हुआ था। इटली के लुसियानी के विसेंजा में जन्मीं सोनिया का परिवार रोमन कैथोलिक ईसाई था। उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, जहां उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। 1965 में राजीव-सोनिया की पहली मुलाकात हुई, जिसके बाद मुलाकातें बढ़ने लगीं। दोनों में प्यार हुआ और शादी हो गई। राजीव गांधी के राजनीतिक परिवार से होने के कारण सोनिया ने फैसला लेने में समय लिया। पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 1968 में दोनों ने शादी की। सोनिया गांधी का असली नाम एंतोनिया एडविजे अल्विना माइनो है। सोनिया गांधी की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। शादी के बाद एंतोनिया, सोनिया गांधी बन गईं।
सोनिया चाहती थीं- राजीव राजनीति में ना जाएं
राजीव-सोनिया ने शादी के पहले निश्चय किया था कि वे दोनों राजनीति से दूर रहेंगे। राजीव की भी राजनीति में वैसी इच्छाएं नहीं थीं, जैसे उनके छोटे भाई संजय गांधी की थीं। यही कारण था कि शुरुआती दौर में राजीव गांधी पेशेवर पायलट बने और सोनिया गांधी ने ग्रहिणी के रूप में रहीं। सोनिया करीब 22 साल तक कांग्रेस पार्टी की सर्वेसर्वा रहीं। वह 1999 से लगातार सांसद हैं। इंग्लैंड में पढ़ीं सोनिया गांधी 21 साल की उम्र में भारत आईं थीं। ये राजीव का प्यार ही था कि थर्ड वर्ल्ड कहे जाने वाले भारत में सोनिया गांधी ने रहना स्वीकारा। सोनिया खुद इस बात को कहती हैं कि उनके लिए यह सब करना आसान नहीं था।
सोनिया को लगा कि राजीव गांधी की हत्या हो जाएगी
सोनिया गांधी के विरोधी उन पर कई तरह के राजनीतिक हमले करते हैं। लेकिन सोनिया खुद को कुशल राजनेता साबित कर चुकी हैं। इसका परिचय उन्होंने राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए तो दिया ही, बाद में कांग्रेस को संभालकर सत्ता में पहुंचाकर भी दिया। ये वही सोनिया गांधी थीं, जो राजीव को राजनीति में नहीं आने देना चाहती थीं। उन्हें डर था कि कोई उन्हें मार देगा। सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पुरी को दिए एक इंटरव्यू में सोनिया गांधी ने कहा था कि मैं और राजीव सामान्य जीवन जीना चाहते थे। राजीव पायलट थे। हमारे दो छोटे-छोटे बच्चे थे। हम दोनों अपने परिवार को ज्यादा से ज्यादा समय दे पाते थे। इन्हीं सबके चलते में राजीव को राजनीति में नहीं जाने देना चाहती थी। राजीव भी नहीं जाना चाहते थे। बाद में जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो मुझे लगने लगा था कि राजीव की भी हत्या हो जाएगी।
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सोनिया गांधी को राजीव गांधी की हत्या की खबर ऐसे मिली
सोनिया गांधी की ऑटोबायोग्राफी में वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई लिखते हैं कि राजीव गांधी के निजी सचिव विल्सन जॉर्ज हत्या वाले दिन उनके साथ नहीं थे। वे दिल्ली के चाणक्यपुरी में थे। जॉर्ज को जैसे ही राजीव गांधी की हत्या की सूचना मिली, वह दस जनपथ पहुंचे, जहां सोनिया गांधी थीं। जॉर्ज के वहां पहुंचने से पहले सोनिया के पास फोन पर फोन आ रहे थे- कोई कुछ कह नहीं रहा था, बस सब पूछ रहे थे- सब ठीक है ना? जॉर्ज सोनिया को बुलाते हुए दस जनपथ में पहुंचे। सोनिया ने जॉर्ज से कहा- क्या हुआ? जॉर्ज कुछ बोल नहीं पा रहे थे और घबराए हुए थे। इस पर सोनिया ने पूछा- राजीव जिंदा हैं? जब जॉर्ज कुछ नहीं बोले तो सोनिया चिल्लाते हुए रोने लगीं। सोनिया अस्थमा की मरीज थीं। राजीव गांधी की हत्या की खबर सुनकर उन्हें अस्थमा का अटैक आ गया और वह जमीन पर गिर पड़ीं, जिन्हें 19 साल की प्रियंका गांधी संभाल रही थीं।
राजीव ने कहा था- पार्टी चाहती है मैं प्रधानमंत्री बनूं
इंदिरा गांधी के सलाहकार रहे आरके धवन बताते हैं कि जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तब राजीव गांधी पश्चिम बंगाल में थे। सोनिया गांधी और आरके धवन घायल इंदिरा गांधी को एम्स अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इंदिरा गांधी के शव को एम्स में ही रखा गया और सब लोग राजीव गांधी का इंतजार कर रहे थे। राजीव गांधी ने एम्स में सबसे पहले मां के पार्थिव शरीर को देखा, इसके बाद सोनिया गांधी से बात की। थोड़ी देर बाद वह दोनों सन्नाटे भरे माहौल में एक दूसरे पर चीख-चिल्ला रहे थे। आरके धवन ने पास जाकर देखा तो सुना कि राजीव गांधी सोनिया से कह रहे थे- पार्टी चाहती है मैं प्रधानमंत्री बनूं। रोते हुए सोनिया कह रही थीं- वे तुम्हें भी मार डालेंगे।
सोनिया गांधी ने बाद में राजनीति में सक्रियता बढ़ाई और बिखरी हुई पार्टी को एकजुट किया। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की सत्ता को उखाड़ फेंका। 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आई तो सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद की स्वाभाविक उम्मीदवार थीं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया।