यहां बनती हैं 75 किलो आटे की रोटियां, 25 किलो दाल, 45 किलो चावल और 60 मुर्गियां, जानिए भारत के सबसे बड़े संयुक्त परिवार की कहानी

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BP Shrivastava
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यहां बनती हैं 75 किलो आटे की रोटियां, 25 किलो दाल, 45 किलो चावल और 60 मुर्गियां, जानिए भारत के सबसे बड़े संयुक्त परिवार की कहानी

BHOPAL. आज विश्व परिवार दिवस है। वर्तमान दौर में संयुक्त परिवार कल्चर खत्म हो गया है। ऐसे दौर में यदि कोई परिवार संयुक्त रूप से रहता है तो निश्चित रूप से तारीफ की जानी चाहिए। इस मामले में भारत की अभी भी दुनियाभर में पहचान है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा संयुक्त परिवार अजमेर के नसीराबाद उपखंड के रामसर गांव में रहता है। जिसमें 185 सदस्य हैं। इसी तरह मिजोरम के बटवंग गांव में चाना परिवार है। जिसमें 180 से ज्यादा सदस्य हैं। आज विश्व परिवार दिवस के मौके पर हम इन दोनों संयुक्त परिवार की कहानी पेश कर रहे हैं-



अजमेर के इस माली परिवार में 10 चूल्हों में बनती है 75 किलो आटे की रोटियां



यह परिवार नसीराबाद उपखंड के रामसर गांव में रहता है। बड़ी बात यह है कि 185 सदस्यों का संयुक्त परिवार आज भी हंसी खुशी रहता है। इस परिवार के सभी फैसले मुखिया भंवरलाल माली ही लेते हैं। परिवार के लोगों के लिए 75 किलो आटे की रोटियां बनाई जाती है जो लगभग 10 चूल्हों पर बनती हैं।



दादा ने दी संयुक्त रहने की सीख, आज सब एकसाथ



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रामसर के माली परिवार के भागचंद माली ने बताया कि उसके दादा सुलतान माली थे। यह उनका परिवार है। सुलतान माली के 6 बेटे थे, जिनमें उसके पिता भंवर लाल सबसे बड़े थे । वहीं उनके अन्य छोटे भाइयों में रामचंद्र, मोहन, छगन, बिरदीचंद और छोटू थे। शुरू से ही उनके दादा सुलतान माली ने सबको साथ रखा और हमेशा संयुक्त रहने की सीख दी। इसका नतीजा आज भी उनका परिवार साथ है।



​चुनावों में मिलती है विशेष तवज्जो



भागचंद माली ने बताया कि उनके परिवार में 55 पुरुष, 55 महिलाएं और 75 बच्चे हैं। उनके परिवार में लगभग 125 से अधिक मतदाता है। इसके चलते चाहे सरपंच का चुनाव हो या अन्य कोई चुनाव, सभी चुनावों में उनके परिवार को विशेष तवज्जो दी जाती है।



सदस्य खेती, डेयरी और बिल्डिंग मैटेरियल का करते हैं काम



भागचंद माली ने बताया कि पूर्व में उनका परिवार केवल खेती पर निर्भर था, लेकिन इसके बाद में जैसे-जैसे परिवार बढ़ता गया तो उन्होंने आय के साधन भी बढ़ाए हैं। अब उनका परिवार खेती के साथ, डेयरी और बिल्डिंग मैटेरियल का काम भी करता था, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है।



छोटी-मोटी बातों को करें नजरअंदाज



इस परिवार के मुखिया भंवरलाल माली ने कहा कि संयुक्त परिवार में जो मजा है, वह एकल परिवार में नहीं है। आज भी लोगों को संयुक्त परिवार की ओर वापस लौटना चाहिए। एकल परिवार के कारण ही अपराध भी बढ़ रहे हैं और संस्कारों का भी अभाव है। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में कई बार कठोर निर्णय भी लेने पड़ते हैं।



आर्थिक रूप से भी मजबूत रहता है संयुक्त परिवार



मुखिया भंवरलाल माली ने बताया कि आमजन से अपील की है संयुक्त परिवार में रहें और छोटी-मोटी बातों को नजरअंदाज करें। संयुक्त परिवार में रहने के कई फायदे भी उन्होंने गिनाए। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में किसी भी काम या अन्य कोई भी बोझ किसी एक पर नहीं पड़ता है वहीं एकल परिवार में अकेले व्यक्ति पर ही सारा बोझ आता है। वहीं संयुक्त परिवार में रहने से आर्थिक रूप से भी मजबूत रहते हैं। इसके अलावा समाज में भी संयुक्त परिवार का दबदबा रहता है।



मिजोरम में चाना परिवार 100 कमरों के घर में रहता है



मिजोरम के चाना परिवार भी दुनिया के बड़े संयुक्त परिवार में शामिल है।100 कमरों के मकान में इस परिवार के 180 से ज्यादा सदस्य एक साथ रहते हैं। इस परिवार में पुरुष, महिलाएं और बच्चों की संख्या 180 से भी ज्यादा है। चुनावों के समय इस परिवार को काफी महत्व दिया जाता है क्योंकि इस परिवार की वोट सबसे ज्यादा हैं।



परिवार के कुल सदस्यों की संख्या



इस परिवार को चलाने वाले घर के मुखिया जिओना चाना (ziona chana)  के नाम से जाने जाते हैं। एक खबर के अनुसार जिओना की 39 पत्नियां हैं और 90 से ज्यादा उनके बच्चे हैं। जिओना के परिवार में कई बहुए और 30 से ज्यादा पोते-पोतियां हैं। हिसाब लगाया जाए तो जिओना चाना के परिवार में 180 से ज्यादा सदस्य हैं।



आखिर कहां रहता है यह परिवार



संयुक्त परिवार के साथ जिओना चाना मिजोरम के बटवंग गांव में स्थित एक बहुत बड़े से मकान में रहते हैं। जिओना चाना के मकान में कुल 100 कमरे बने है और अपने बेटों के साथ जिओना चाना पहाड़ों के बीच बढ़ई (कारपेंटर) का काम करते हैं।



चाना परिवार में खाना कितनी मात्रा में बनता है



दुनिया के इस सबसे बड़े परिवार के लिए मकान में एक बड़ा सा किचन भी है। जिसमें लगभग 200 लोगों का खाना बनता है। परिवार की महिलाएं सुबह से ही खाना बनाने की तैयारी में लग जाती हैं। एक दिन में लगभग 25 किलो दाल, 45 किलो चावल,  30 से 40 मुर्गियां, 60 किलो सब्जियां और दर्जनों अंडे पकाए जाते हैं। जिओना चाना का यह परिवार लगभग 20 किलो फल एक दिन में खा लेता है। जितने राशन में जिओना चाना का परिवार एक दिन का खाना बनाता है उतने राशन में नॉर्मली एक परिवार का दो महीना निकल जाता है।



चुनावों में इस परिवार की भूमिका



मिजोरम में जब भी चुनाव होते हैं, तो यह परिवार सबसे अहम भूमिका निभाता है। चुनाव के समय इसी वजह से जिओना चाना के परिवार को काफी महत्व दिया जाता है। ये माना जाता है कि यह परिवार जिस भी पार्टी को वोट देता है उनका जीतना लगभग निश्चित हो जाता है।


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