पुनीत पांडेय, BHOPAL. हमारे जीवन में चाय की जरूरत, महत्व और उससे जुड़े हेल्थ बेनीफिट्स को लेकर हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (international tea day) मनाया जाता है। चाय हमारी संस्कृति का ऐसा हिस्सा बन चुकी है कि उसके बिना जीवन अधूरा-सा है। कई देशों में 21 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (international tea day) मनाया जाता है, लेकिन यूनाइटेड नेशंस की जनरल असेंबली ने 15 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया था। लेकिन इससे काफी पहले से 21 मई को ये दिन मनाया जा रहा था।
दुनियाभर में चाय संस्कृति को बढ़ावा देने का उद्देश्य
21 मई को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस का मूल साल 2005 में मिलता है। जब चाय पैदा करने वाले देशों ने दिल्ली में विश्व चाय कॉन्फ्रेंस की थी। इस कॉन्फ्रेंस को चाय के प्रोडक्शन और कंजम्प्शन और दुनियाभर में चाय संस्कृति को बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया था। यूनाइटेड नेशंस ने 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया है। इस घोषणा में तारीख अलग थी, लेकिन उद्देश्य चाय के प्रति जागरुकता पैदा करना, उत्पादन बढ़ाना और चाय पैदावार के आर्थिक पहलू को मजबूत करना था।
दिल्ली में पहली बार मनाया गया था पहला चाय दिवस
साल 2005 में पहला अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मना था। इसके बाद चाय दिवस को लेकर सेलिब्रेशन इसे पैदा करने वाले देश श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, कीनिया, मलावी, मलेशिया, युगांडा और तंजानिया में हुए। साल 2015 में भारत सरकार ने FAO (एक अंतरसरकारी समूह) के माध्यम से इस दिन को बड़े पैमान पर मानने और इसका दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस आइडिया को इटली के मिलान में आयोजित बैठक में बढ़ाया गया और इसी साल FAO की कमेटी ऑन कमोडिटी ने चाय पर लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद साल 2019 में यूनाइटेड नेशंस ने 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय टी डे घोषित किया, लेकिन चाय उत्पादक देश अभी भी 21 मई को ही ये दिवस मनाते हैं।
चाय का इतिहास
यूनाइटेड नेशंस के अनुसार उल्लेख मिलता है कि पहली बार चाय का उपयोग करीब 5 हजार साल (2737 बीसी) पहले किया गया था। इसके बाद कहानी मिलती है कि चीन के सम्राट शेन नुंग के नहाने के गरम पानी में चाय के पत्ते गिर गए थे। नहाते समय उनको इन पत्तों वाले पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा और आज की चाय हमारे सामने आई जो दुनिया का सबसे पसंदीदा ड्रिंक्स में से एक बन गई। चाय का स्वाद चीनियों की जुबान पर चढ़ा तो वहां इसकी खेती होने लगी। जब अंग्रेज चीन पहुंचे तो चाय के उत्पादन में चीन की मोनोपोली तोड़ने के लिए उन्होंने भारत में इसका उत्पादन शुरू किया। अंग्रेजों ने साल 1824 में चाय का कमर्शियल उत्पादन शुरू किया। तब से दार्जिलिंग, नीलगिरी और असम में चाय की खेती हो रही है। देश में हर साल 9 लाख टन चाय का उत्पादन हो रहा है।
चाय का सफर
- 2737 ईसा पूर्व में चाय की तरह के एक पेय की तरह खोज हुई।