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आप सब ने मैग्नीफाइंग ग्लास के बारे में तो जरुर से सुना होगा। अरे हां वही चौकोर कांच का टुकड़ा जिससे हम अपने हाथों की पतली लकीरों को बड़े रूप में देखने के लिए इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा जिसे सूरज की रोशनी में हाथ में पकड़कर बचपन में कभी न कभी सूखे पत्ते,माचिस की तिली या कागज जलाते थे। क्या आपने कभी सोचा है कि उसी मैग्नीफाई ग्लास से खूबसूरत पेंटिंग भी की जा सकती है? जी हां बिल्कुल की जा सकती है औऱ इसे संभव कर दिखाया है अमेरिका की हाई सी ने। वही सी जो इंस्टाग्राम पर “magnifythesun” यूजर के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने सूरज की रोशनी और मैग्नीफाइंग ग्लास के जरिए लकड़ियों के टुकड़ों पर पेंटिंग करने में महारत हासिल की है। वे मैग्नीफाइंग ग्लास के जरिए लकड़ी के टुकड़ों पर खूबसूरत पेंटिंग उकेरती हैं।
बचपन में पेंट-ब्रश नहीं मिला तो मैग्नीफाइंग ग्लास अपनाया
कहा जाता है....
“जो कमजोर होते हैं, वही किस्मत का रोना रोते हैं।
जिसकों उगना होता है वो पत्थर का सीना चीर कर उगता है....”
ये कहावत सी के ऊपर एकदम सटीक बैठती है। सी के पिता गरीब बढ़ई थे। उसके पास बचपन में पेंट ब्रश नहीं था उन्होंने अपने पिता से पेंट ब्रश और कैनवास की मांग की लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे सी के लिए पेंट ब्रश और कैनवास खरीद पाते। लेकिन इस अभाव के कारण उन्होंने अपना शौक छोड़ नहीं दिया। उन्होंने मैग्नीफाइंग ग्लास को ब्रश औऱ पेंट का विकल्प बना डाला।वे अपने पिता की दुकान पर बेकार पड़ी लकड़ियों पर खूब प्रैक्टिस करती थी। वे जैसे-जैसे बड़ी होती गईं अपने इस हुनर को निखारती गईं। लोग कहते हैं कि सी के लिए मैग्नीफाइ ग्लास पेंट-ब्रश हैं और लकड़ियां कैनवास।
जीरो वेस्ट आर्ट
सी को इंस्टाग्राम पर magnifythesun यूजर नाम से 32 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। सी अपने इस हुनर को जीरो वेस्ट आर्ट कहती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आर्ट पीस बनाते वक्त वे कुछ भी बर्बाद नहीं करती हैं। वो न कलर्स यूज करती हैं, न पेंट ब्रश, न पानी, न कागज और न ही कैनवास। पेंटिंग बनाने के लिए सी को सिर्फ धूप, मेग्नीफाइ ग्लास और एक लकड़ी के टुकड़े की जरुरत होती है। और उनकी पेंटिंग बनकर तैयार हो जाती है।