GWALIOR. फिल्म अभिनेता अनिल कपूर की सुपरहिट फिल्म थी जुदाई जिसमें उनकी दो शादियां होती है, और वो दोनों पत्नियां उनके साथ रहती हैं। अभिनेता अनिल कपूर दोनों के साथ अपनी मर्जी से रहना तय करते हैं। ऐसा अक्सर हमें हिंदी फिल्मों में ही देखने को मिलता है। लेकिन हकीकत में ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्यप्रदेश के ग्वालियर में, यहां एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने शादीशुदा होते हुए भी दूसरा ब्याह रचाया। मामला फैमिली कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन इस मामले में कोर्ट के बाहर ही अनोखा समझौता हो गया। समझौते के तहत ये तय हुआ कि पति सप्ताह में तीन दिन एक पत्नी के साथ रहेगा और अगले तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ। और रविवार के दिन वो अपनी मर्जी का मालिक रहेगा और वह जिसके साथ चाहे उसके साथ रह सकेगा। समझौते के तहत पति ने एक-एक फ्लैट दोनों पत्नियों को दे दिए हैं।
कोर्ट के बाहर ही करवा दिया समझौता
ग्वालियर के एक इंजीनियर ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली पति की दूसरी शादी की बात पता लगने के बाद ग्वालियर की ही रहने वाली 28 वर्षीय एक महिला फैमिली कोर्ट पहुंची। वह अपने और बेटे के भरण पोषण के लिए केस दायर करने आई थी, लेकिन न्यायालय में काउंसलर ने उसे समझाया, पति-पत्नी दोनों की काउंसलिंग की और कोर्ट के बाहर ही समझौता करा दिया गया।
ये था पूरा मामला...
फैमिली कोर्ट पहुंची इस महिला की शादी साल 2018 में हुई थी। पति हरियाणा के गुरुग्राम में एक मल्टी नेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। दो साल तक पति-पत्नी साथ रहे। इनका एक बच्चा भी है। कोरोना के कारण साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान पति पत्नी को उसके मायके ग्वालियर छोड़ गया था, फिर उसे लेने ही नहीं आया। इसी बीच इंजीनियर पति के कंपनी में ही साथ काम करने वाली एक महिला कर्मचारी के साथ संबंध बन गए। वह उसके साथ लिव इन में रहने लगा और बाद में शादी कर ली। दूसरी पत्नी से उसे एक लड़की है। जब पति पहली पत्नी को लेने नहीं आ रहा था तो वह खुद गुरुग्राम जा पहुंची। वहां उसे पता लगा कि पति ने तो दूसरी शादी कर ली है। इस बात को लेकर दोनों में विवाद भी हुआ। नाराज पत्नी पति के खिलाफ ग्वालियर की फैमिली कोर्ट पहुंच गई थी। वह अपने और बेटे के भरण पोषण लेने के लिए केस करना चाहती थी, लेकिन उसकी मुलाकात कुटुंब न्यायालय में काउंसलर से हुई। जिसने उसे समझाया।
6 महीने में 5 बार की गई काउंसलिंग
काउंसलर एडवोकेट हरीश दीवान ने महिला को समझाया कि उसके और बेटे के भरण पोषण के लिए 7 से 8 हजार रुपए तक ही मिल पाएंगे। इससे उसका क्या फायदा होगा। काउंसलर ने महिला के पति से फोन पर बात की। उसे भी समझाया। 6 महीने के अंदर 5 बार काउंसलिंग की। कोर्ट में केस पहुंचने से पहले ही दोनों के बीच सुलह करा दी। जिसके मुताबिक पति हफ्ते में तीन-तीन दिन दोनों के साथ रहेगा। वह दोनों पत्नियों के साथ रह सके उसके लिए दोनों को गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट दे दिया है।