उत्तराखंड के माणा गांव को अब देश का पहला गांव घोषित किया गया, सरस्वती नदी पर भीम पुल, व्यास गुफा...बहुत कुछ है यहां

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Atul Tiwari
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उत्तराखंड के माणा गांव को अब देश का पहला गांव घोषित किया गया, सरस्वती नदी पर भीम पुल, व्यास गुफा...बहुत कुछ है यहां

DEHRADUN. उत्तराखंड का माणा गांव। इसे अब तक आखिरी गांव के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब ये देश का पहला गांव बन गया है। पिछले साल 21 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा गांव आए थे, तब उन्होंने आखिरी गांव की बजाय पहला गांव कहने पर मुहर लगा दी थी। तब मोदी ने कहा था, 'अब तो उनके लिए भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है। पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया।'



उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ट्वीट किया- 'अब माणा देश का आखिरी नहीं, बल्कि पहले गांव के रूप में जाना जाएगा।' जानिए, ये गांव आखिर पड़ता कहां है? इसमें खास क्या है और कितना प्राचीन  है?  



कहां पड़ता है ये गांव?



माणा उत्तराखंड के चमोली जिले में आता है। चीन सीमा इस गांव से 24 किलोमीटर की दूरी पर है। माणा गांव चार धामों में से एक बद्रीनाथ से बमुश्किल तीन किलोमीटर दूर है। माणा गांव से ही सरस्वती नदी निकलती है। ये हिमालय की पहाड़ियों से घिरा है। यहां का वातावरण बहुत साफ-सुथरा है। 2019 के स्वच्छ भारत सर्वे में इसे 'सबसे साफ गांव' का दर्जा मिला था। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,219 मीटर है।



महाभारत से जुड़ी है माणा की कहानी



माणा वही गांव है, जहां से पांडवों ने स्वर्ग का रास्ता तय किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडव जब स्वर्ग जा रहे थे, तब इसी गांव से निकले थे। कथा के मुताबिक,  पांडव जब स्वर्ग जा रहे थे, तब द्रौपदी भी उनके साथ थीं। पांडव सशरीर स्वर्ग जाना चाहते थे। उनकी इस यात्रा में एक कुत्ता भी साथ था। हालांकि, रास्ते में ही सब एक-एक करके गिरने लगे। सबसे पहले द्रौपदी गिरीं और उनकी मौत हो गई। फिर सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीम भी गिर पड़े। सिर्फ युधिष्ठिर ही आखिरी तक बचे। वो ही सशरीर स्वर्ग पहुंच सके। युधिष्ठिर के साथ जो कुत्ता था, वो यमराज थे।



भीम ने यहीं बनाया था पुल



माणा गांव में भीम पुल भी बना है। माना जाता है कि इस पुल को भीम ने बनाया था। ये पुल असल में एक बड़ा सा पत्थर है, जो सरस्वती नदी के ऊपर बना है। भीम पुल इस गांव के अहम पर्यटन स्थलों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडव माणा गांव से स्वर्ग जा रहे थे, तब द्रौपदी को सरस्वती नदी पार करने में मुश्किल हो रही थी। तो ऐसे में भीम ने एक बड़ा सा पत्थर उठाकर यहां रख दिया। इस पत्थर को इस तरह से रखा गया है कि ये पुल बन गया। इसके बाद द्रौपदी ने पुल के जरिए नदी को पार कर लिया। एक किवंदती ये भी है कि भीम पुल वही जगह है, जहां वेदव्यास ने भगवान गणेश को महाभारत लिखवाई थी।




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माणा गांव में भीम पुल।




और भी खास है इस गांव में



इस गांव में तप्त कुंड है, जो प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। माना जाता है कि तप्त कुंड अग्नि देव का निवास स्थान है। मान्यता है कि इस कुंड के पानी में औषधीय गुण हैं और यहां डुबकी लगाने से चर्म रोग ठीक होते हैं। इसके अलावा यहां गणेश गुफा, व्यास गुफा, भीम पुल, सरस्वती मंदिर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं। यहां वसुधारा झरना भी है, जो बद्रीनाथ से 9 किमी दूर है। माना जाता है कि कुछ समय के लिए पांडव यहां भी रुके थे।




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माणा गांव में स्थित व्यास गुफा।




माणा गांव में कितने लोग रहते हैं?



माणा गांव में ज्यादातर भोतिया (मंगोल आदिवासी) समुदाय के लोग रहते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस गांव में 1214 लोग रहते हैं। सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग निचले इलाके में आ जाते हैं, क्योंकि पूरा इलाका बर्फ से ढक जाता है।


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