भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे अपने बेहतरीन नेतृत्व के लिए जाने ही जाते थे, गलती होने पर अपनी तेज—तर्रार शैली में दूसरों को सार्वजनिक रूप से डपटने के लिए भी खासे चर्चित थे। वे सुचिता पसंद उन चंद नेताओं में शुमार किए जा सकते हैं, जो दिन को दिन और रात को रात कहने की हिम्मत रखते थे। यानी जो सच है तो सच है। ऐसा ही एक वाकया विदिशा जिले से जुड़ा हुआ है।
कार्यकर्ता जीत के जोश में थे और ठाकरे जमीन पर
हुआ यूं कि प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार की जगह भाजपा की सरकार आ चुकी थी। उमा भारती प्रदेश की मुखिया की कमान संभाल चुकी थीं। कई सारे फैसले तड़ातड़ बदले जा रहे थे। इसी बीच कुशाभाऊ ठाकरे का विदिशा में जाना हुआ। कुशाभाऊ शाम को स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा करने चौपड़ा मोहल्ले में पहुंचे। उत्साही कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस सरकार के दौरान हुए कामों को लेकर शिकायतों की झड़ी लगा दी। इसमें कुछ शिकायतें जायज भी थीं। थोड़ी ही देर में चर्चा इस पर केंद्रित हो गई कि कांग्रेसियों ने नेहरु और गांधी के नाम पर न जाने कितनी सड़कें, पार्क और दूसरे संस्थाओं के नाम कर दिए हैं... कार्यकर्ताओं का जोर इस पर था कि इनके नाम बदल देना चाहिए और भाजपा के महापुरुषों के नाम पर कर देना चाहिए।
और... बैठक में छा गया सन्नाटा
कई कार्यकर्ता जब नाम बदलने की बात पर ही जोर देने लगे तो कुशाभाऊ एकदम से सभी पर भड़क गए। गुस्से से बोल उठे, क्यों मरे हुए लोगों पर राजनीति करते है? अब हमारी सरकार है। अच्छे काम करो और उनको अपने महापुरुषों का नाम दो। इसमें कौन रोकेगा आपको! कुशाभाऊ के गुस्से से माहौल एकदम से सन्नाटे में बदल गया... हालांकि कुछ ही देर बाद खुद उन्होंने ही हल्की— फुल्की बातें करके माहौल को सामान्य कर दिया...