कर्ज लेकर घी पीना ये पुरानी कहावत है इसका मतलब होता है कि उधार के पैसों पर मौज करना। बड़े-बूढ़े कह गए है कि कर्ज लेना अच्छी बात नहीं है लेकिन एमपी के रतलाम जिले का एक गांव है जहां हर कोई कर्जदार है, गांव के लोगों को कर्ज दिया है हनुमान जी ने
हनुमान जी देते हैं कर्ज !
वैसे भगवान की मेहरबानी से पूरी दुनिया चलती है लेकिन रतलाम का बिबडोद गांव हनुमान जी के कर्ज से चलता है। जिला मुख्यालय से 6 किमी दूर इस गांव में मौजूद है शिव-हनुमान मंदिर। और यही मंदिर देता है पूरा गांव को कर्ज
35 साल पहले शुरू हुआ सिलसिला
भगवान हनुमान जी से गांव के लोगों का कर्ज लेने का यह सिलसिला लगभग 35 साल पहले शुरू हुआ था, 35 साल पहले शिवरात्रि पर इस मंदिर पर यज्ञ हुआ था। यज्ञ के लिए राशि गांव के लोगों ने ही इकट्ठा की थी। उस समय मंदिर बेहद छोटा था। एक चबूतरे पर स्थापित थी हनुमानजी की प्रतिमा । यज्ञ में पैसा खर्च हुआ और कुछ पैसा बच गया। आयोजन समिति तय नहीं कर पा रही थी कि इसका इस्तेमाल क्या किया जाए ? तभी किसी ने सुझाव दिया कि बचा हुआ पैसा गांव के जरूरतमंद लोगों को कर्ज के रूप में दिया जाए और उनसे सालाना ब्याज ले लिया जाए।कर्ज देने के लिए बनी समितिसुझाव पर अमल के लिए मन्दिर में ग्रामीणों की एक समिति बनी और यही समिति यज्ञ के बाद बची हुई राशि को लोगों को कर्ज के रूप में देकर उनसे ब्याज वसूलने लगी। ब्याज की राशि का उपयोग मंदिर समिति ने मंदिर निर्माण में किया और अब ब्याज की राशि से ही भव्य शिव हनुमान मंदिर खड़ा है। तब से आज तक भगवान हनुमान जी से गांव के लगभग हर परिवार ने कर्जा लिया है।
कर्ज की सीमा तय है
समिति ने कर्ज की भी सीमा तय की है । सबसे कमजोर व्यक्ति को 1500, मध्यमवर्गीय को 2000 और अमीर को 3000 की राशि कर्ज के रूप में दी जाती है। सालाना 2 प्रतिशत ब्याज लगता है। ग्रामीणों का मानना है कि वो कोई भी काम या आयोजन भगवान हनुमान जी से कर्ज लेकर ही करते हैं। इसके पीछे ग्रामीणों की सोच है कि जिस काम के लिए कर्ज लिया है वो काम भगवान हनुमान जी की कृपा से सफल होता है। इसी सोच के कारण गांव में किसी के यहां शादी हो या अन्य कोई कार्य सबसे पहले उस काम के लिए राशि भगवान हनुमान जी से ही लेते हैं। जो भी राशि दी जाती है बाकायदा उसको प्रॉमेसरी नोट पर लिखवाया जाता है। कर्जदार को साल भर में कर्ज चुकाना जरूरी नहीं है लेकिन उसका ब्याज साल भर में एक बार होली पर जमा कराया जाता है। गरीब के अलावा गांव के संपन्न लोग भी कर्ज लेते हैं।
कर्ज नहीं चुकाते, केवल ब्याज देते हैं
कर्ज लेने वाले गांव के लोग हनुमान जी का कर्ज नहीं चुकाते केवल ब्याज देते है। उनकी मान्यता है कि हनुमान जी से कर्ज लेने पर बरकत रहती है। ऐसे कई लोग है जिन्हें हनुमानजी से कर्ज लिए हुए 20 साल हो चुके हैं लेकिन आज तक उन्होंने कर्ज चुकाया नहीं ब्याज बराबर देते है।
कोरोना को फटकने नहीं दिया : पुजारी
पुजारी राकेश द्विवेदी के मुताबिक जब कोरोना फैला तो गांव के लोग भी डर गए लेकिन जब हनुमानजी की विशेष पूजा अर्चना की गई तो गांव में कोरोना काबू में आ गया। गांव में कोई भी मांगलिक काम होता है तो उसकी शुरूआत इसी मंदिर से होती है।