केरल: एक गांव में 400 से ज्यादा जुड़वा, विदेशी भी इसकी रिसर्च करने आते हैं

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केरल: एक गांव में 400 से ज्यादा जुड़वा, विदेशी भी इसकी रिसर्च करने आते हैं

राम और श्याम, सीता और गीता, सत्ते पे सत्ता, चालबाज, किशन-कन्हैया और जुड़वा...। इन तमाम फिल्मों की कहानी अलग-अलग थी, लेकिन थीम एक ही थी। और वो ये कि फिल्म का हीरो या तो हीरोइन डबल रोल में थे। दुनिया में 1 हजार बच्चों पर 4 जुड़वा पैदा होते है। एशिया में ये औसत 4 से भी कम है, लेकिन केरल का एक गांव ऐसा है, जहां कहीं भी नजर दौड़ाइए, हमशक्ल ही नजर आएंगे।

कोडिन्ही में 400 से ज्यादा जुड़वा

केरल के मलप्पुरम जिले में है कोडिन्ही गांव। ये जुड़वों का गांव कहलाता है। कोडिन्ही में हर 1 हजार बच्चों पर 45 जुड़वा पैदा होते है। इस समय गांव में 400 से भी ज्यादा जुड़वा है। इस गांव में जुड़वा बच्चे क्यों पैदा होते है, इसका रहस्य सुलझाने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर यहां रिसर्च कर चुके हैं। जर्मनी और ब्रिटेन के रिसर्चर भी यहां पहुंच चुके है। सोचिए, गांव की शोहरत कहां तक पहुंच चुकी है। लोगों के डीएनए सैंपल भी लिए गए, मगर नतीजा कुछ खास नहीं निकला।

1949 में पहली बार जुड़वा पैदा हुए

इतना सब होने के बाद यहां शोध के लिए भारत सरकार ने डॉक्टर कृष्णन श्रीबीजू को अपॉइंट किया है। गांव में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। ऐसा कहा जाता है कि 1949 में यहां जुड़वा बच्चों के पैदा होने की शुरुआत हुई थी। अब्दुल हमीद और उनकी जुड़वा बहन कुन्ही कदिया को सबसे पहला जुड़वा कहा जाता है।

जुड़वा होने के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं

टीचर्स को बच्चों को समझने में खासी मुश्किल आती है तो नई नवेली दुल्हन भी कन्फ्यूज रहती है कि आखिरकार उसका असली जीवन साथी कौन सा है। जुड़वा बच्चों में कोई एक बीमार होता है तो दूसरा भी होता है, इसलिए बीमार बच्चे के साथ उसके हमशक्ल को भी जबरिया दवा खानी पड़ती है।

नाइजीरिया में लैंड ऑफ ट्विन्स

केरल का कोडिन्ही अकेला ऐसा गांव नहीं है, जहां जुड़वाओं की भरमार है। नाइजीरिया का इगबोओरा को लैंड ऑफ ट्विन्स कहा जाता है। यहां जुड़वा बच्चों का औसत 1 हजार बच्चों पर 158 जुड़वां बच्चों के पैदा होने का है यानी इस मामले में केरल का कोडिन्ही दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है। बहरहाल सवाल ये है कि जुड़वा बच्चे पैदा क्यों होते हैं, ये कोई नहीं जानता।

जुड़वाओं का गांव