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आज मध्य प्रदेश के एक ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे कैलाश जोशी की जयंती (जन्म 14 जुलाई 1929) है,जिन्हें प्रदेश की राजनीति के संत के रूप में जाना जाता है। वे बेहद ईमानदार, सादगी पसंद और उसूलों के पक्के थे। वे मप्र की राजनीति के उन विरले लोगों में माने जाते हैं, जिन पर जीवन के अंतिम समय तक कोई दाग नहीं लगा। कई सालों तक विधायक बनने के बाद भी उनके पास कोई कार या अन्य गाड़ी नहीं थी। वे अपने गुस्से और असमय नींद आने के कारण खास चर्चा में रहे। मुख्यमंत्री रहते उनकी नींद का किस्सा इतना उछला कि उसे लेकर हाई कोर्ट तक में याचिका तक लगाई गई। हद तो तब हो गई थी जब एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पहुंचने के बाद भी उन्होंने बिस्तर नहीं छोड़ा था।
लोगों ने चंदा कर जोशी को गिफ्ट की थी कार
14 जुलाई 1929 को देवास जिले की हाटपीपल्या तहसील में जन्मे कैलाश जोशी 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के बाद ही उसके सदस्य बन गए थे। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। 1962 से लगातार 7 विधानसभा चुनाव बागली सीट से जीते। 1980 में भाजपा के गठन के बाद प्रदेश अध्यक्ष बने। 1977 में देश से इमरजेंसी हटने के बाद चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजित होना पड़ा था। मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने देश की सभी कांग्रेस सरकारों को बर्खास्त करा दिया था। तब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी। तब कैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कैलाश जोशी सादगी पसंद नेता थे, उनके पास अपनी कार तक नहीं थी। जब वे 1981 में लगातार 5वीं बार बागली से विधायक बने जोशी का सम्मान कार्यक्रम रखा गया था। अटल बिहारी वाजपेयी और विजया राजे सिंधिया भी इसमें पहुंची थीं। यहां कार्यकर्ताओं ने चंदे से पैसा जुटाकर खरीदी गई एम्बेसडर की चाबी जोशी को भेंट की थी।
कार में सो गए और टल गई यात्रा
मुख्यमंत्री के रूप में कैलाश जोशी पहले तो सरकार में एक के बाद एक अध्यादेश लाकर कानून बनाने के लिए चर्चित हुए। इसके अलावा वे अपनी नींद के चलते सुर्खियों में रहे। उनकी नींद को लेकर एक किस्सा देश भर में बहुत चर्चित हुआ था। हुआ यूं कि जोशी राजधानी भोपाल से कहीं जाने के लिए घर से निकले और एयरपोर्ट जाने के रास्ते में कार में ही गहरी नींद में सो गए जिसकी वजह से उनकी यात्रा स्थगित करनी पड़ी। इस पर चर्चा चल पड़ी कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है जिससे वे चाहे जब सो जाते हैं।
जोशी बोले मुझ पर किसी ने जादू-टोना कर दिया है
बीमारी का सुनकर जब लोग मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचते तो मुख्यमंत्री का स्टाफ किसी को मिलने नहीं देता। सबको यही बोला जाता कि साहब आराम कर रहे हैं। सीएम की नींद को लेकर जब ज्यादा किस्से बनने और चलने लगे तो जोशी की ओर से सफाई आई कि मुझ पर किसी ने जादू-टोना कर दिया है। इसलिए मुझे ज्यादा नींद आती है। जल्द ही सरकार के मुखिया की असमय नींद को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लग गई। इस याचिका के साथ जोशी के खिलाफ असमय नींद आ जाने की 86 अखबारों की कटिंग लगाई गई। कुल मिलाकर याचिका का लब्बोलुआब यह था कि जोशी सीएम पद के लिए अनफिट हैं। उस समय जोशी की नींद का मुद्दा इतना गरमाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को भोपाल आना पड़ा। मोरारजी जब भोपाल एयरपोर्ट पहुंचे तो प्रोटोकॉल के मुताबिक मुख्यमंत्री कैलाश जोशी को उनकी अगुवाई के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद होना चाहिए था। लेकिन उनकी जगह एयरपोर्ट पर तत्कालीन उद्योग मंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा मौजूद थे।
प्रधानमंत्री के सीएम हाउस में आने के बाद भी सोते रहे जोशी
सखलेचा एयरपोर्ट से मोरारजी देसाई को लेकर सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। यहां भी जोशी प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए खड़े नहीं मिले। उन्हें बताया गया कि मुख्यमंत्री जी कमरे में लेटे हुए हैं। इस पर सखलेचा और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को लेकर कमरे में पहुंचे तो उन्हें हैरान करने वाला नजारा देखने को मिला। कैलाश जोशी साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे हुए थे। लेकिन वे कमरे में पीएम के पहुंचने के बाद भी बिस्तर से नहीं उठे। उन्हें बताया गया कि प्रधानमंत्री उनसे मिलने आए है तो जोशी सिर्फ “हां-हूं” कर रह गए और दूसरी ओर करवट करके सो गए। यह नजारा देख मोरारजी देसाई ने उनकी नींद में खलल डालना उचित नहीं समझा। मोरारजी को जो देखना था वह उन्होंने अपनी आंखों से देख लिया और वे दिल्ली लौट गए।