BHOPAL. द सूत्र. कुरवाई विधानसभा सीट मध्य प्रदेश बनने के समय से वजूद में है। पहले यह अनारक्षित थी। पूर्व मध्य भारत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तखतमल जैन इसी सीट से चुनाव लड़ते थे। नया मप्र बनने के बाद भी उन्होंने दो बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता, लेकिन बाद में यह सीट जनसंघ और बाद में भाजपा के पास ही रही। अभी भी यह सीट भाजपा के पास है। भाजपा के हरीसिंह सप्रे यहां से विधायक हैं।
विधानसभा क्षेत्र: इस विधानसभा सीट के अंतर्गत विदिशा जिले का उत्तर पश्चिमी इलाका आता है।
महिला मतदाता: 96949
पुरुष मतदाता: 109077
कुल मतदाता:206028
साक्षरता का प्रतिशत:78.8%
धार्मिक समीकरण: हिंदू बहुल सीट, लेकिन मुस्लिम वोट भी निर्णायक।
आर्थिक समीकरण: मुख्यत: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
विधानसभा सीट पर मतदान का ट्रेंड कब और कितना (सर्वाधिक और न्यूनतम मतदान): सर्वाधिक 2018: 74.77%, न्यूनतम 1980: 44.86 %
विधानसभा क्षेत्र का इतिहास:
कुरवाई विधानसभा सीट मप्र बनने के समय से अस्तित्व में है। तब यह अनारक्षित थी। 1957 में पहले चुनाव में कांग्रेस के तखतमल जैन यहां से दो बार जीते थे। 1967 में इस सीट से जनसंघ के के.कुमार को जीते। 1972 में जनसंघ के अवध नारायण ने कांग्रेस के तामसिंह को हराकर यह सीट जीती। 1977 में कुरवाई सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। इस सीट से जनता पार्टी के रामचरण लाल कांग्रेस के जीवन बुधा को हराकर जीते। 1980 में कांग्रेस की पानबाई भाजपा के परमानंद पंथी को हराकर जीतीं।1985 व 1990 में यहां से भाजपा के श्यामलाल शंकरलाल जीते। 1993 में भाजपा के चिरौंजीलाल सोनकर ने कांग्रेस की पूर्व विधायक पानबाई को पराजित किया। 1998 में कांग्रेस के रघुवीर सिंह ने भाजपा के चिरौंजीलाल सोनकर को हराय। 2003 में भाजपा के श्यामलाल पंथी ने कांग्रेस के रघुवीरसिहं को हराय। 2008 में भाजपा के हरीसिंह सप्रे ने कांग्रेस की मायादेवी सप्रे को हराया। 2013 में भाजपा के वीरसिंह पवार ने कांग्रेस की पानबाई को और 2018 कांग्रेस के सुभाष बोहत को पराजित किया।
विधानसभा क्षेत्र की खास पहचान: कुरवाई का किला।
2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव में कौन जीता-कौन हारा: पिछले चार चुनावों से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है
विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज:
इस सीट का राजनीतिक मिजाज भाजपाई है। पहले यह सीट दो बार जनसंघ, एक बार जनता पार्टी और 9 बार भाजपा ने जीती। मध्य भारत राज्य के समय इस सीट का विशेष महत्व था, क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री तखतमल जैन यहां से चुनाव लड़ते थे। वो मध्य भारत राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे:
बेरोजगारी, क्षेत्र में अधोसंरचना की कमी, कृषि उपज सही मूल्य न मिलना।
पिछले चुनाव (2018) में समीकरण: पिछले चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में लहर होने के बाद भी भाजपा अपनी यह सीट बचा ले गई थी। उसके हरिसिंह सप्रे ने कांग्रेस की अनुभवी नेता और पूर्व विधायक पानबाई को 4 हजार से अधिक वोटों से हराया था।