BHOPAL. द सूत्र.
सिरौंज विधानसभा क्षेत्र मप्र बनने के समय से अस्तित्व में है। यह सीट 1957 में बनी। यह शुरू से अनारक्षित रही है। इसका मिजाज भी गैर कांग्रेसी रहा है। यहां मुस्लिम वोट भी काफी हैं। भाजपा के लक्ष्मीकांत शर्मा यहां से चार बार चुनाव जीते, लेकिन व्यापमं कांड में फंसने पर भाजपा ने 2018 में उनका टिकट काट कर लक्ष्मीकांत के भाई उमाकांत शर्मा को दिया। भाजपा यह सीट धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार ही जीतती रही है। वर्तमान में यह सीट भाजपा के पास ही है।
विधानसभा क्षेत्र: इस विधानसभा क्षेत्र में विदिशा जिले का उत्तर पूर्वी इलाका आता है।
महिला मतदाता: 90195
पुरुष मतदाता: 103333
कुल मतदाता: 193530
साक्षरता का प्रतिशत:73.49 %
धार्मिक समीकरण: हिंदू बहुल सीट, लेकिन मुस्लिम वोट भी निर्णायक।
आर्थिक समीकरण: मुख्यत: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
विधानसभा सीट पर मतदान का ट्रेंड कब और कितना (सर्वाधिक और न्यूनतम मतदान): सर्वाधिक 2018: 78.55 %, न्यूनतम 1957: 35.92%
विधानसभा क्षेत्र का इतिहास:
सिरौंज विधानसभा सीट 1957 में बनी। शुरू से अनारक्षित। इसका मिजाज भी गैर कांग्रेसी रहा है। यहां मुस्लिम वोट भी काफी हैं। 1957 व 1962 के विस चुनाव में हिंदू महासभा के मदनलाल जीते। 1967 में जनसंघ के एस. सिंह कांग्रेस के सईद मोहम्मद को हराकर जीते। 1972 के चुनाव में कांग्रेस के आईएफ तर्जी मश्रिकी ने जनसंघ के रघुवीरसिंह को पराजित किया। 1977 में जनता पार्टी के शरीफ मास्टर 1980 में भाजपा के राधारमण भार्गव यहां से जीते। 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गोवर्धन, 1990 में भाजपा के भवानी सिंह, 1993 में भाजपा ने लक्ष्मीकांत शर्मा को टिकट दिया। उन्होंने कांग्रेस के गोवर्धन उपाध्याय को पराजित किया। लक्ष्मीकांत शर्मा लगातार चार बार यहां से चुनाव जीते और 2013 में कांग्रेस के गोवर्धन लाल के हाथों हारे। 2018 में भाजपा के उमाकांत शर्मा ने कांग्रेस की मसर्रत शाहिद को हराया।
विधानसभा क्षेत्र की खास पहचान: महामाई का मंदिर सिरौंज
2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव में कौन जीता-कौन हारा: पिछले चार चुनावों में तीन बार भाजपा और एक बार कांग्रेस जीती
विधानसभाा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज:
इस सीट का मिजाज भाजपाई ही रहा है। अब तक हुए कुल 14 विधानसभा चुनावो में हिंदू महासभा 2 बार, जनसंघ 2 बार और 7 बार भारतीय जनता पार्टी जीती है। कांग्रेस केवल तीन बार और एक बार जनता पार्टी के खाते मे एक सीट गई है। सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भाजपा के लक्ष्मीकांत शर्मा के नाम है, जो शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने।
विधानसभा क्षेत्र की बड़ी चुनावी उठा-पटक:
2013 के विस चुनाव में चार बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे लक्ष्मीकांत शर्मा कांग्रेस के गोवर्धन लाल से हार गए। लक्ष्मीकांत का नाम व्यापमं घोटाले में आने से क्षेत्र में भी उनकी छवि काफी खराब हुई। 2018 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई उमाकांत शर्मा को दे दिया। उमाकांत कांग्रेस की मसर्रत शाहिद को हराकर जीते। मसर्रत कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह की करीबी मानी जाती हैं। वो दो बार चुनाव हार चुकी हैं। उपेक्षित हालात में लक्ष्मीकांत शर्मा का पिछले साल कोरोना से निधन हो गया।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे:
पेयजल और सिंचाई साधनों की कमी, सिरौंज को जिला बनाने और रेल लाइन लाने का वादा अधूरा, बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा
पिछले चुनाव (2018) में समीकरण: पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतो का ध्रुवीकरण हुआ, इसमें धार्मिक ध्रुवीकरण भी शामिल है। क्योंकि मुकाबला हिंदू मुसलमान हो गया। भाजपा के उमाकांत शर्मा की छवि अच्छे होने का लाभ उन्हें मिला। उन्होंने कांग्रेस की मसर्रत शाहिद को 28 हजार वोटों से हराया।
चुनाव से जुड़े मशहूर किस्से:
2013 के विस चुनाव में भाजपा के लक्ष्मीकांत शर्मा को हार का तगड़ा झटका लगा। तमाम कोशिशों के बाद भी वो कांग्रेस के गोवर्धनलाल उपाध्याय से डेढ़ हजार वोटों से हार गए।