रायगढ़ जिले की उदयपुरा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रही है, कांग्रेस के देवेंद्र पटेल हैं उदयपुरा से विधायक

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The Sootr
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रायगढ़ जिले की उदयपुरा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रही है, कांग्रेस के देवेंद्र पटेल हैं उदयपुरा से विधायक

BHOPAL. द सूत्र.

उदयपुरा विधानसभा सीट मध्यप्रदेश बनने के साथ ही अस्तित्व में है। यह सीट शुरू से अनारक्षित रही। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा यहां से चार बार विधायक रहे। बाद में डॉ. शर्मा की पत्नी श्रीमती विमला शर्मा भी यहां से एक बार चुनाव जीती हैं। इस सीट का चरित्र मोटे तौर पर कांग्रेस के पक्ष में रहा है। लंबे समय तक यहां से कांग्रेस प्रत्याशी जीतते रहे हैं। अभी भी इस सीट से देवेन्द्र सिंह पटेल विधायक हैं। पिछले परिसीमन में इस सीट का स्वरूप थोड़ा बदल गया। इसके पहले भाजपा के रामपाल सिंह यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे और मंत्री भी बने। 2008 के परिसीमन में पूर्व की बरेली विधानसभा सीट को उदयपुरा में मिला दिया गया।

विधानसभा क्षेत्र: इस विधानसभा सीट के अंतर्गत रायसेन जिले का दक्षिण पूर्वी इलाका आता है। यह समूचा क्षेत्र ग्रामीण ही है। केवल बरेली बड़ा कस्बा है।

वोटर्स

महिला: 1 लाख 4 हजार 51

पुरुष: 1 लाख 20 हजार 940

मतदाताः 2 लाख 25 हजार 219

साक्षरता: 72.98%

धार्मिक समीकरण: हिंदू 94%, मुस्लिम 5%, अन्य 1%

आर्थिक समीकरण: मुख्यत: कृषि आधारित गतिविधियां

विधानसभा सीट पर मतदान का ट्रेंड कब और कितना (सर्वाधिक और न्यूनतम मतदान)

सर्वाधिक 2018: 78.38 प्रतिशत

न्यूनतम 1957: 41.57 प्रतिशत

विधानसभा क्षेत्र का इतिहास:

विधानसभा क्षेत्र की खास पहचान: धार्मिक स्थल छींद धाम लोगों की आस्था का केन्द्र।

विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज:

इस विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज मिला जुला रहा है। 1972 तक तो यहां कांग्रेस ही जीतती रही थी। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी और 1980 में पहली बार भाजपा यहां से जीती। 1985 में इस सीट पर फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1990 से लेकर 2003 भाजपा के रामपाल सिंह ही यहां से जीतते रहे। उन्होंने लगातार जीत के मामले में डॉ. शंकर दयाल शर्मा का सतत तीन बार जीत का रिकॉर्ड तोड़ा। 2003 में कांग्रेस के एक बड़े नेता प्रतापभानु शर्मा ने भी यहां से किस्मत आजमाई, लेकिन रामपालसिंह से हार गए। 2007 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में रामपाल की पत्नी शशिप्रभा सिंह चुनाव जीतीं। रामपाल सिंह के अलावा भाजपा का कोई विधायक यहां से दूसरी बार नहीं जीत पाया। 2008 में ये सीट कांग्रेस के भगवानसिंह राजपूत ने भाजपा के भगवतसिंह पटेल को हराकर जीती। 2013 में भाजपा ने यह सीट फिर कांग्रेस से छीन ली। तब भाजपा के रामकिशन पटेल कांग्रेस के भगवानसिंह राजपूत को हराकर जीते। रामकिशन के रूप में भाजपा ने किरार प्रत्याशी उतारा था, लेकिन उन्हें हार मिली। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के पास ही है।


विधानसभा क्षेत्र की बड़ी चुनावी उठा-पटक :

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विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे :

क्षेत्र में रेलवे लाइन की मांग। क्षेत्र में कोई भी बड़ा उद्दयोग नहीं। जामगढ़ क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना।

पिछले चुनाव (2018) में समीकरण: पिछले चुनाव में देवेन्द्र सिंह पटेल की जीत का मुख्य कारण उनका पुरबिया ठाकुर होना और समाज में अच्छी पकड़ होना है। भाजपा ने किरार समाज के रामकिशन पटेल को उतारा, लेकिन उनका पार्टी और समाज में ही काफी विरोध था।

 2023 चुनाव का संभावित समीकरण:

कांग्रेस यहां से देवेन्द्र सिंह पटेल को फिर से टिकट दे सकती है। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सड़क पर उतरने में गुरेज नहीं। चुनाव मैनेजमेंट उनके बेटे नरेन्द्र सिंह पटेल देखते हैं। अन्य संभावित दावेदारों में संजय सिंह मसानी व गिरीश पालीवाल हैं। भाजपा से नरेन्द्र सिंह पटेल और रामकिशन पटेल की दावेदारी है।


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