महाकुंभ 2025 : संगम के पानी को लेकर NGT ने योगी सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और योगी सरकार को आदेश दिया कि वे प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के पानी की गुणवत्ता पर अपनी रिपोर्ट फिर से पेश करें।

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Sandeep Kumar
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और राज्य सरकार को प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के पानी की क्वालिटी पर उचित जानकारी न देने के लिए फटकार लगाई है। एनजीटी ने यूपीपीसीबी से एक हफ्ते में ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में पानी के फेकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड जैसे महत्वपूर्ण पैरामीटर की जानकारी नहीं दी गई थी, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया।

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एनजीटी की फटकार और आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वे प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के पानी की क्वालिटी पर अपनी रिपोर्ट फिर से पेश करें। एनजीटी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि यूपीपीसीबी ने फेकल कोलीफॉर्म और ऑक्सीजन लेवल जैसे महत्वपूर्ण पानी के गुणवत्ता पैरामीटर पर पर्याप्त जानकारी नहीं दी है।

ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और अन्य सदस्यों की बेंच ने यूपीपीसीबी से इस मामले में एक हफ्ते के भीतर ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि कुंभ मेले के दौरान गंगा और यमुना नदियों का पानी पीने और नहाने लायक है या नहीं।

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संगम के दूषित पानी को लेकर क्या बोले सीएम

सीएम योगी ने यूपी विधानसभा में संगम के पानी को दूषित बताने वाली रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, त्रिवेणी के पानी की गुणवत्ता पर सवाल किए जा रहे हैं। संगम और उसके आसपास के इलाके के सभी नालों को टैप कर दिया गया है और वहां पानी शुद्धिकरण के बाद ही छोड़ा जा रहा है। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानी की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है। आज संगम के इलाके में मौजूद पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा 8-9 है, जबकि BOD यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3 से कम है। इसका मतलब है कि संगम का पानी केवल नहाने ही नहीं आचमन के भी योग्य है।

सीपीसीबी की रिपोर्ट और यूपीपीसीबी का विवाद

सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जनवरी के दूसरे हफ्ते में गंगा और यमुना के पानी में फेकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर नहाने के लिए तय मानकों से काफी ज्यादा था। हालांकि, यूपीपीसीबी ने कहा कि उसने रिपोर्ट दाखिल कर दी है, लेकिन वह सीपीसीबी से पानी के सैंपल लेने के स्थान की जानकारी मांग रहा था। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन और फेकल कोलीफॉर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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गंगा के पानी में फेकल कोलीफॉर्म की उच्च मात्रा

सीपीसीबी की रिपोर्ट में यह बताया गया कि गंगा के पानी में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा अत्यधिक पाई गई है, जिसका कारण कुंभ के दौरान संगम में स्नान करने वाले लाखों श्रद्धालु थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं के स्नान करने के कारण पानी में प्रदूषण स्तर बढ़ गया था।

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एनजीटी के आदेशों का पालन

एनजीटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और यूपीपीसीबी को निर्देशित किया है कि गंगा और यमुना के पानी की गुणवत्ता पर जरूरी कदम उठाए जाएं। इन आदेशों का पालन नहीं होने पर भविष्य में गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

 

 



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